बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षकों ने रायपुर में बीजेपी कार्यालय का घेराव किया, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनेगी कमेटी
रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सोमवार को बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षकों ने राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इन शिक्षकों ने बीजेपी के प्रदेश कार्यालय का घेराव किया और अपनी बर्खास्तगी को निरस्त करने की मांग की। इनका कहना है कि राज्य सरकार ने बिना किसी उचित कारण के उन्हें नौकरी से निकाल दिया है, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है और उनके परिवार का पालन-पोषण मुश्किल हो गया है।
प्रदर्शनकारियों का आरोप
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का आरोप है कि उन्हें बर्खास्त करने का कोई ठोस और पारदर्शी कारण नहीं दिया गया। उनका कहना था कि वे लंबे समय से अपने काम में लगे हुए थे और उनकी नौकरी पर कोई सवाल नहीं उठाया गया था। लेकिन अचानक, बिना किसी पूर्व सूचना या उचित जांच के, उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। इस फैसले ने न केवल उनका मानसिक उत्पीड़न किया है बल्कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी बिगाड़ दी है।
बीजेपी कार्यालय का घेराव
सैकड़ों की संख्या में पहुंचे इन शिक्षकों ने बीजेपी कार्यालय के बाहर जमकर नारेबाजी की और सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। शिक्षकों ने मांग की कि उनका मामला दोबारा से खंगाला जाए और उनके खिलाफ उठाए गए कदम को रद्द किया जाए। प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि अगर जल्द ही कोई उचित समाधान नहीं निकला तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे और अपनी आवाज को और तेज करेंगे।
सरकार का रुख और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन
प्रदर्शन के बाद सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और निर्णय लिया कि बर्खास्त शिक्षकों की समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी को बर्खास्तगी के कारणों की जांच करने और यह सुनिश्चित करने का जिम्मा सौंपा गया है कि क्या यह निर्णय सही तरीके से लिया गया था या फिर इसमें कोई अनियमितता या त्रुटि थी।
सरकार का कहना है कि बर्खास्तगी का निर्णय नियमों और प्रक्रियाओं के तहत लिया गया था, लेकिन वे यह सुनिश्चित करेंगे कि इस मामले में कोई भी गलतफहमी या चूक न हो। सरकार ने यह भी कहा कि इस कमेटी का उद्देश्य केवल शिक्षकों के साथ न्याय करना है और इस मुद्दे को सही तरीके से हल करना है।
राजनीतिक दृष्टिकोण और आगामी घटनाक्रम
इस घटना के बाद से राजनीतिक हलकों में भी चर्चा शुरू हो गई है। जहां बीजेपी ने इसे एक प्रशासनिक मामला बताते हुए सरकार से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है, वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण और निराधार बताया है। विपक्ष का कहना है कि यह बर्खास्तगी सरकार की गलत नीतियों और प्रशासनिक असफलता का परिणाम है।
अभी यह देखना बाकी है कि इस कमेटी द्वारा क्या निष्कर्ष निकाले जाते हैं और इस मामले का समाधान किस दिशा में जाता है। अगर शिक्षकों की बर्खास्तगी को रद्द किया जाता है तो यह छत्तीसगढ़ सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। वहीं, यदि कमेटी सरकार के फैसले का समर्थन करती है, तो यह शिक्षकों के बीच आक्रोश और विरोध को बढ़ा सकता है।
प्रदर्शनकारियों का उत्साह और आंदोलन की दिशा
प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि वे तब तक शांत नहीं बैठेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। शिक्षकों का कहना है कि वे अपनी न्यायपूर्ण मांग के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उनके इस आंदोलन का असर न केवल रायपुर, बल्कि पूरे राज्य में देखा जा सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच सभी की निगाहें इस कमेटी के फैसले पर टिकी हैं, जो भविष्य में बर्खास्त शिक्षकों के भविष्य का निर्धारण करेगा।