किंगदाओ/नई दिल्ली। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून के बीच अहम मुलाकात हुई। बातचीत का मुख्य केंद्र बिंदु रहा भारत-चीन सीमा विवाद, विशेषकर गलवान जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकना।
राजनाथ सिंह ने चीन के समक्ष स्पष्ट और दृढ़ स्वर में चार सूत्रीय प्रस्ताव रखा, जिसमें सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने और भविष्य में टकराव की संभावनाओं को खत्म करने की रणनीति शामिल थी। भारत के रक्षा मंत्रालय ने इस बातचीत की पुष्टि की है।

चार सूत्रीय प्रस्ताव:
- सैन्य वापसी (डिसइंगेजमेंट): 2024 की सहमति के अनुसार सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी ईमानदारी से लागू की जाए।
- तनाव में कमी: सीमावर्ती इलाकों में तनाव को घटाने के लिए निरंतर और ठोस प्रयास किए जाएं।
- सीमा निर्धारण: सीमांकन और परिसीमन की प्रक्रिया तेज़ की जाए ताकि विवाद सुलझ सकें।
- विशेष प्रतिनिधि संवाद: भारत-चीन रिश्तों को बेहतर बनाने और मतभेद सुलझाने के लिए उच्चस्तरीय संवाद तंत्र को सक्रिय किया जाए।
2020 का गलवान संघर्ष और 2024 की योजना:
2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट आ गई थी। इस स्थिति को सुधारने के लिए 2024 में “डिसइंगेजमेंट प्लान” पर सहमति बनी, जिसका उद्देश्य सीमा पर शांति बनाए रखना और गश्ती विवादों को टालना है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली:
राजनाथ सिंह ने पांच साल बाद फिर से शुरू हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा को दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्तों की मजबूती में अहम भूमिका निभाएगा।
आतंकवाद और पाकिस्तान का जिक्र:
रक्षा मंत्री ने चीनी समकक्ष को हाल ही में पहल्गाम में हुए आतंकी हमले और भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई “ऑपरेशन सिंदूर” की जानकारी भी दी, और चीन से आतंक के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने की अपील की।
