जानिए कहां लगाएं और कहां न लगाएं दर्पण, वास्तु शास्त्र के अनुसार
Mirror Vastu Tips: वास्तु शास्त्र में दर्पण (Mirror) को सिर्फ सजावटी वस्तु नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली ऊर्जा संवाहक माना गया है। यदि इसे सही दिशा और स्थान पर लगाया जाए, तो यह घर की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा सकता है, वहीं गलत दिशा में लगाया गया दर्पण घर में नकारात्मक प्रभाव भी उत्पन्न कर सकता है। आइए जानते हैं दर्पण से जुड़ी वास्तु के कुछ विशेष नियम और उपाय।
दर्पण की शुभ दिशा
उत्तर (North) या पूर्व (East) दिशा में दर्पण लगाना अत्यंत शुभ माना गया है। ये दिशाएं सूर्य की ऊर्जा और प्रकाश की प्रतीक होती हैं, और दर्पण इन ऊर्जाओं को घर में फैला कर सकारात्मक वातावरण बनाता है।

वास्तुदोष दूर करने में सहायक दर्पण
वास्तु के अनुसार दर्पण का उपयोग कई प्रकार के दोष दूर करने में किया जाता है:
- उत्तर-पश्चिम दिशा कटी हो तो उस दिशा की उत्तरी दीवार पर 4 फीट चौड़ा दर्पण लगाना लाभकारी होता है।
- ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) कटा हो तो उस स्थान की उत्तरी दीवार पर दर्पण लगाने से दोष दूर होता है।
- लिफ्ट या सीढ़ियों के सामने फ्लैट हो तो मुख्य द्वार पर अष्टकोणीय दर्पण लगाना शुभ होता है।
- अगर घर के पीछे नेशनल हाईवे या सड़क हो तो घर के पिछले हिस्से पर अष्टकोणीय दर्पण लगाने से सुरक्षा और ऊर्जा संतुलन बना रहता है।

जहाँ दर्पण नहीं लगाना चाहिए
- बेडरूम में दर्पण नहीं लगाना चाहिए, खासकर ऐसा दर्पण जिसमें सोते समय व्यक्ति का प्रतिबिंब दिखे। इससे मानसिक अशांति और वैवाहिक जीवन में तनाव उत्पन्न हो सकता है।
- डाइनिंग एरिया में दर्पण लगाना शुभ माना जाता है क्योंकि यह अन्न और धन की वृद्धि को दर्शाता है।
- अगर पश्चिम दिशा अधिक खुली हो, तो पूर्वी दीवार पर दर्पण लगाकर संतुलन स्थापित किया जा सकता है।

वास्तु की दृष्टि से सजावट और ऊर्जा का संतुलन
दर्पण का उपयोग यदि वास्तु के अनुसार किया जाए, तो यह घर को न केवल सुंदर बनाता है बल्कि वहां सकारात्मक ऊर्जा, शांति और समृद्धि भी बनाए रखता है। इसलिए किसी भी नए घर में प्रवेश करने या घर का नवीनीकरण करने के समय दर्पण की दिशा और स्थिति पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
निष्कर्ष: वास्तु शास्त्र की सरल लेकिन प्रभावशाली सलाहों के अनुसार दर्पण का सही उपयोग आपके जीवन में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाए रख सकता है।