रायपुर, रायपुरा। राजधानी के महादेवघाट क्षेत्र में अवैध कब्जे को लेकर स्थानीय नाविकों, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना, जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी और नाविक संघ ने एकजुट होकर विरोध जताया। उन्होंने बताया कि बाहरी तत्वों द्वारा घाट क्षेत्र में जबरन पाटा लगाकर, कैमरा और QR कोड पोस्टर चिपकाकर कब्जा किया जा रहा है, जिससे पारंपरिक नाविकों की आजीविका और धार्मिक गतिविधियाँ बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। और हो भी बिना किसी अनुमति के, इसे लेकर मंदिर के पुजारियों और संगठन के पदाधिकारियों की बैठक भी हुई।
स्थानीय नाविकों का कहना है कि वर्षों से वे इस घाट पर अपनी पारंपरिक आजीविका चला रहे हैं, लेकिन हाल के दिनों में कुछ बाहरी लोग बिना किसी अनुमति के घाट पर कब्जा कर रहे हैं। इससे न सिर्फ उनकी रोज़ी-रोटी पर असर पड़ा है, बल्कि श्रद्धालुओं को भी असुविधा हो रही है।
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी ने नाविकों के इस आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए कहा कि महादेवघाट जैसे सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों पर किसी भी तरह का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

नाम परिवर्तन का भी विरोध:
खारून नदी में होने वाली ‘खारून आरती’ का नाम बदलकर ‘खारून गंगा आरती’ किए जाने पर भी विरोध जताया गया। स्थानीय संगठनों ने इसे सांस्कृतिक पहचान के साथ छेड़छाड़ बताया।
अवैध कब्जे को तत्काल हटाया जाए, घाट क्षेत्र की नियमित निगरानी की जाए और पारंपरिक नाविकों के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।

चूंकि यह मुद्दा स्थानीय संस्कृति, आस्था और आजीविका से जुड़ा हुआ है, इसलिए यह मामला संवेदनशील बनता जा रहा है।
यह जानकारी हमें छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के जिला उपाध्यक्ष गोविन्द वर्मा ने दी।”