कांकेर, छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार कांकेर जिले में ‘मोर गांव, मोर पानी’ महाअभियान का क्रियान्वयन पूरे जोश और उत्साह के साथ किया जा रहा है। जिला कलेक्टर श्री निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य वर्षा जल के संरक्षण को जनआंदोलन के रूप में स्थापित करना है।
कांकेर जिले की सभी 454 ग्राम पंचायतों में 5 जून तक चार दिवसीय उन्मुखीकरण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसमें ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, बिहान समूह की महिलाएं और जल संरक्षण से जुड़े विभागों के अधिकारी भाग ले रहे हैं। उन्हें जल संचयन की आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी जा रही है।
तकनीकी आधार पर पारदर्शिता
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री हरेश मंडावी ने बताया कि महाअभियान की सफलता के लिए जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) जैसे आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इससे जल संरक्षण कार्यों की सटीक योजना और पारदर्शिता सुनिश्चित हो रही है। उन्होंने बताया कि जनभागीदारी से आगामी तीन वर्षों के लिए मजबूत और तकनीकी दृष्टि से सक्षम जल संरक्षण योजनाएं तैयार की जा रही हैं। प्रत्येक ब्लॉक को चार क्लस्टरों में बांटकर प्रशिक्षण को अधिक प्रभावी और व्यवस्थित बनाया गया है।
जल संरक्षण कार्यों की होगी प्राथमिकता
अभियान के तहत चेक डैम निर्माण, फार्म पॉन्ड (खेत तालाब), कंटूर ट्रेंचिंग, रूफ वाटर हार्वेस्टिंग, वृक्षारोपण, आजीविका वृक्ष, सोक पिट, जल संग्रहण तालाबों का गहरीकरण और नाला उपचार जैसे कार्य शामिल होंगे। कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि सभी कार्यों की गुणवत्ता सर्वोच्च स्तर की होनी चाहिए।
गांव-गांव में जागरूकता अभियान
अभियान के तहत गांवों में भूजल स्तर का रिकॉर्ड तैयार कर ग्रामीणों को जल स्तर में हो रहे परिवर्तनों की जानकारी दी जा रही है। दीवार लेखन और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से जल संसाधनों के प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है। गांवों में रैली, शपथ ग्रहण और श्रमदान के जरिए जल स्रोतों की सफाई कर जल संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं।