रायपुर। राजधानी रायपुर में महापौर मीनल चौबे के बेटे का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह सड़क पर केक काटते और आतिशबाजी करते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो सामने आते ही इस पर विवाद शुरू हो गया है।
सड़क पर जश्न मनाने पर उठे सवाल
हाल ही में रायपुर में युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष और कुछ कार्यकर्ताओं पर सड़क पर केक काटने और नियमों की अवहेलना करने के मामले में कार्रवाई की गई थी।
अब महापौर के बेटे का यह वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन पर मामले में दोहरे मापदंड अपनाने के आरोप लग रहे हैं।
एसपी और कलेक्टर ने की कड़ी अपील
रायपुर में सड़क पर इस तरह के आयोजनों को रोकने के लिए प्रशासन सख्त हो गया है।
कलेक्टर ने नागरिकों से अपील की कि वे यातायात नियमों का पालन करें और सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे आयोजन न करें।
एसएसपी ने चेतावनी दी कि सड़क पर केक काटने जैसी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ी तो जेल की सजा भी हो सकती है।
क्या होगी कार्रवाई?
प्रशासन ने इस मामले में कार्रवाई के संकेत दिए हैं, लेकिन अब तक किसी पर कोई आधिकारिक कार्रवाई नहीं हुई है।
वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या महापौर के बेटे पर भी वही कार्रवाई होगी, जो कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर हुई थी?
जनता से अपील
एसएसपी और कलेक्टर दोनों ने राजधानीवासियों से सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से उत्सव मनाने की अपील की है।
सार्वजनिक स्थानों पर यातायात और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, सड़क पर इस तरह के आयोजनों से बचने की सलाह दी गई है।
मेयर मीनल चौबे ने मांगी माफी
सड़क पर केक काटने का वीडियो सामने आने के बाद अब मेयर मीनल चौबे ने माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि, मैंने वीडियो देखा जो मेरे घर के सामने की है। मेरे बेटे का जन्मदिन था, उसने सड़क पर केक काटा है। मैंने आज सुबह ही अखबार में पढ़ा कि, हाईकोर्ट ने सड़कों पर केक काटने से मना किया है। जो भी हुआ गलत हुआ है मैंने अपने बेटे को समझाइश दी है।
दोबारा ऐसा नहीं होगा- मीनल चौबे
मेयर मीनल चौबे ने आगे कहा कि, मैं शासन-प्रशासन का पूरा सम्मान करती हूं। अगर मेरे या मेरे परिवारजनों की वजह से कोई परेशानी हुई होगी तो उसके लिए मैं माफी मांगती हूं। सभी के बच्चों को यह समझना होगा कि, सड़क पर नहीं घर के अंदर केक काटना चाहिए। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि, दोबारा ऐसा नहीं होगा।
यह मामला अब प्रशासन के लिए एक परीक्षा बन गया है कि क्या नियम सभी के लिए समान रूप से लागू होते हैं या नहीं।