हीराकुंड बाँध (Hirakud Dam) की विस्तृत जानकारी:
हीराकुंड बाँध भारत का सबसे बड़ा और दुनिया के सबसे लंबे मिट्टी और पत्थर के बाँधों में से एक है। यह बाँध ओडिशा राज्य के संबलपुर जिले में महानदी नदी पर स्थित है। इसे भारत की आज़ादी के बाद निर्मित पहले प्रमुख बाँध परियोजनाओं में गिना जाता है।
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निर्माण की पृष्ठभूमि
- निर्माण का आरंभ: 1948
- समाप्ति: 1957
- यह बाँध महानदी के पानी का उपयोग सिंचाई, बिजली उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण के लिए किया गया।
- इसे ब्रिटिश इंजीनियर मेजर जनरल डब्ल्यू.सी. बीन के नेतृत्व में प्रस्तावित किया गया था। आज़ादी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे प्राथमिकता दी।
भौतिक विशेषताएँ:
- लंबाई:
- कुल लंबाई 25.8 किलोमीटर (मुख्य बाँध की लंबाई 4.8 किलोमीटर)।
- ऊँचाई:
- 60.96 मीटर (200 फीट)।
- जलाशय का आकार:
- जलाशय (Hirakud Reservoir) की लंबाई 55 किलोमीटर है।
- यह जलाशय लगभग 743 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करता है।
- सामग्री:
- बाँध मुख्यतः मिट्टी, पत्थर और कंक्रीट से बना है।
प्रमुख उद्देश्यों:
- सिंचाई:
- 10 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान करता है।
- बिजली उत्पादन:
- कुल बिजली उत्पादन क्षमता 307.5 मेगावाट है।
- इसमें तीन पावर हाउस (Power Houses) हैं:
- Burla Power House
- Chiplima Power House
- Hirakud Power House
- बाढ़ नियंत्रण:
- महानदी के निचले क्षेत्रों में बाढ़ की संभावना को कम करता है।
- जल आपूर्ति और मछली पालन:
- आसपास के क्षेत्रों में जल आपूर्ति और मछली पालन को बढ़ावा देता है।
पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव:
- सकारात्मक प्रभाव:
- बड़े पैमाने पर कृषि उत्पादकता में वृद्धि।
- बिजली उत्पादन के माध्यम से औद्योगिकीकरण को बढ़ावा।
- नकारात्मक प्रभाव:
- बाँध निर्माण के दौरान लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा।
- पर्यावरणीय नुकसान और जैव विविधता पर प्रभाव।
पर्यटन और विशेषता:
हीराकुंड बाँध पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है।
- गांधी मीनार और नेहरू मीनार:
- बाँध के दोनों किनारों पर स्थित मीनारें।
- जवाहर मीनार:
- यहाँ से जलाशय और आस-पास का दृश्य देखा जा सकता है।
- वन्यजीव अभयारण्य:
- जलाशय के पास कई पक्षी और वन्यजीव देखे जा सकते हैं।
- बोटिंग और मछली पकड़ना:
- यह क्षेत्र मछली पकड़ने और बोटिंग के लिए प्रसिद्ध है।
अद्वितीय तथ्य:
- यह बाँध महानदी के पानी को नियंत्रित करके 85 से अधिक जलप्रपातों को जोड़ता है।
- यह न केवल भारत की ऊर्जा और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके निर्माण ने भारत की आत्मनिर्भरता की नींव रखी।
वर्तमान स्थिति:
हीराकुंड बाँध आज भी पूरी क्षमता के साथ कार्यरत है और ओडिशा राज्य और पड़ोसी राज्यों की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
निष्कर्ष:
हीराकुंड बाँध भारत के विकास, जल प्रबंधन और ऊर्जा क्षेत्र में मील का पत्थर है। यह भारतीय इंजीनियरिंग और प्रबंधन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।