नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (MCD) में एक बार फिर सियासी पारा चढ़ने वाला है। 25 अप्रैल को मेयर और डिप्टी मेयर पदों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं, जो राजधानी की राजनीति में बड़ा असर डाल सकते हैं। सवाल उठ रहा है—क्या इस बार दिल्ली में ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार की नींव रखी जा सकती है?
क्या है ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार का मतलब?
‘ट्रिपल इंजन’ सरकार का मतलब होता है—जब केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय निकाय यानी नगर निगम—तीनों स्तरों पर एक ही दल या गठबंधन का नियंत्रण हो। दिल्ली में केंद्र में भाजपा की सरकार है, राज्य में आम आदमी पार्टी (AAP) का शासन है, और अब निगाहें MCD पर टिकी हैं। अगर भाजपा नगर निगम में अपनी स्थिति मजबूत कर लेती है, तो यह दिल्ली में उसकी राजनीतिक पकड़ को और मजबूत कर सकता है।
MCD में मौजूदा स्थिति
दिल्ली नगर निगम की कुल 250 सीटों में:
- आम आदमी पार्टी के पास हैं: 134 पार्षद
- भारतीय जनता पार्टी के पास: 104 पार्षद
- कांग्रेस व अन्य के पास: 12 पार्षद
AAP के पास बहुमत जरूर है, लेकिन भाजपा की ओर से इस बार आक्रामक रणनीति अपनाई जा रही है। खास बात यह है कि पार्षदों के अलावा, लोकसभा और विधानसभा सदस्य भी मतदान में हिस्सा लेंगे, जिससे गणित और रोचक हो गया है।
भाजपा और AAP के बीच सीधी टक्कर
दोनों ही दलों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है और अंदरूनी तौर पर जोड़-तोड़ की राजनीति भी शुरू हो चुकी है। भाजपा ‘डबल इंजन’ को ‘ट्रिपल इंजन’ में बदलने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रही है, जबकि AAP इस गढ़ को हर हाल में बचाना चाहती है।
क्यों अहम है यह चुनाव?
- लोकसभा चुनाव की तैयारी: यह चुनाव 2025 की शुरुआत में संभावित लोकसभा चुनावों के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त दिला सकता है।
- राजनीतिक संदेश: भाजपा की जीत से यह संदेश जा सकता है कि AAP का शहरी जनाधार कमजोर हो रहा है।
- शासन में तालमेल: अगर MCD में भी भाजपा का नियंत्रण हो जाता है, तो केंद्र और निगम के बीच कार्यप्रणाली में बेहतर समन्वय की उम्मीद की जा सकती है।
निष्कर्ष
25 अप्रैल को होने वाला यह चुनाव सिर्फ एक निगम चुनाव नहीं है—यह दिल्ली की भावी राजनीति का ट्रेलर हो सकता है। क्या भाजपा ‘ट्रिपल इंजन’ की ओर कदम बढ़ाएगी या AAP फिर से बाज़ी मारेगी? इसका फैसला जनता के चुने प्रतिनिधि देंगे, और इसके नतीजे दूरगामी असर डाल सकते हैं।