पोप फ्रांसिस के निधन के बाद वेटिकन में दुनिया के सबसे रहस्यमय और आध्यात्मिक चुनाव की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 7 मई से शुरू हो रहे ‘पोपल कॉन्क्लेव’ में दुनिया भर के 135 कैथोलिक कार्डिनल नए पोप का चुनाव करेंगे। यह चुनाव सिस्टिन चैपल में पूरी तरह गुप्त तरीके से होगा, जिसकी एक भी जानकारी कभी बाहर साझा नहीं की जाती।
पोपल कॉन्क्लेव में पोप का चयन पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन से किया जाता है। यही कारण है कि इस पूरी प्रक्रिया को रहस्य और श्रद्धा का सम्मिलन माना जाता है। कॉन्क्लेव शब्द लैटिन के “कॉन् क्लैविस” से आया है, जिसका अर्थ है “चाबी के साथ बंद किया गया कमरा”। यह इस बात का प्रतीक है कि कार्डिनल्स को तब तक बंद रखा जाएगा जब तक कि नया पोप चुन नहीं लिया जाता।
कैसे होता है चयन? काले और सफेद धुएं से पता चलता है नतीजा
सिस्टिन चैपल के अंदर हर मतदान के बाद मतपत्रों को जलाया जाता है। अगर किसी को जरूरी दो-तिहाई बहुमत नहीं मिला होता, तो कार्डिनल्स के वोट से निकलने वाले मतपत्रों में ऐसे रसायन मिलाए जाते हैं जिससे काला धुआं निकलता है – जो बताता है कि नया पोप नहीं चुना गया।
अगर किसी को चुना जाता है, तो मतपत्रों को ऐसे रसायनों के साथ जलाया जाता है जिससे सफेद धुआं निकलता है – और दुनिया को पता चलता है कि नया पोप मिल गया है।
7 मई को शुरू होगी प्रक्रिया, पहले दिन क्या होगा?
- सुबह 10 बजे (08:00 GMT) – ‘प्रो एलिगेंडो पोंटिफिस’ नामक विशेष मास (मिस्सा) सेंट पीटर बेसिलिका में आयोजित किया जाएगा। यह प्रार्थना पवित्र आत्मा से मार्गदर्शन की याचना होती है।
- दोपहर 4:30 बजे (14:30 GMT) – कार्डिनल पॉलीन चैपल में एकत्र होंगे और “वेनी क्रिएटर स्पिरिटस” प्रार्थना गाते हुए सिस्टिन चैपल में प्रवेश करेंगे।
133 कार्डिनल्स चुनेंगे अगला पोप
सिस्टिन चैपल के दरवाजे बंद होते ही कॉन्क्लेव शुरू हो जाता है। हर कार्डिनल बाइबल पर शपथ लेता है कि वह चुनाव की कोई भी जानकारी जीवन भर सार्वजनिक नहीं करेगा। पिछली बार, 13 मार्च 2013 को, पांचवें दौर की वोटिंग के बाद सफेद धुआं निकला था और अर्जेंटीना के कार्डिनल जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो को पोप फ्रांसिस के रूप में चुना गया था।
क्या है ‘कॉन्क्लेव’ की कानूनी और धार्मिक व्यवस्था?
वर्तमान प्रक्रियाएं 1996 के प्रेरितिक संविधान “Universi Dominici Gregis” पर आधारित हैं, जिसे पोप जॉन पॉल द्वितीय ने जारी किया था और बाद में पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने इसमें संशोधन किया था।
चुनाव कब तक चलेगा?
कॉन्क्लेव की कोई निश्चित समय-सीमा नहीं होती। यह कई दिन या हफ्तों तक भी चल सकता है, जब तक कि दो-तिहाई बहुमत से एक पोप का चयन न हो जाए।