नई दिल्ली | जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव गहराता जा रहा है। ऐसे में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। गृह मंत्रालय ने 7 मई को देश के कई राज्यों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश जारी किए हैं।
इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य है युद्ध या अन्य आपात स्थितियों में आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें सतर्कता एवं आत्मरक्षा के तरीके सिखाना।
क्या होती है सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल?
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल एक पूर्व नियोजित अभ्यास होता है, जिसमें यह सिखाया जाता है कि हवाई हमले, ब्लैकआउट, बमबारी या किसी आपदा की स्थिति में नागरिकों को क्या करना चाहिए। यह अभ्यास स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर किया जाता है। इसमें सिविल डिफेंस कर्मियों, पुलिस, दमकल और मेडिकल टीमें भी हिस्सा लेती हैं।
क्यों जरूरी है यह अभ्यास?
विशेषज्ञों के अनुसार, यह ड्रिल सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि जीवन रक्षक प्रशिक्षण है। इससे नागरिकों को यह समझ आता है कि मुश्किल हालात में उन्हें किस तरह खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखना है। युद्ध या आतंकी हमले जैसे हालात में यह प्रशिक्षण बेहद उपयोगी साबित होता है।
छात्रों को मिलेगा विशेष प्रशिक्षण
गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार, इस बार मॉक ड्रिल में छात्रों और सिविल डिफेंस कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्हें बताया जाएगा कि खतरे की स्थिति में कैसे तुरंत शरण लें, मेडिकल सहायता कैसे प्राप्त करें और अन्य लोगों की कैसे मदद करें।
यूरोप और अन्य देशों में होता है नियमित अभ्यास
एक्सपर्ट्स की मानें तो यूरोप समेत कई देशों में इस तरह के मॉक ड्रिल नियमित रूप से कराए जाते हैं। वहां सरकार नागरिकों को हर स्थिति के लिए तैयार रखती है। भारत में भी अब इसे गंभीरता से लेकर सभी को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।