नई दिल्ली/रायपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में माओवादियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में डीआरजी जवानों ने माओवादी नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवा राजू को मार गिराया है। बसवा राजू 2018 में गणपति की जगह सीपीआई (माओवादी) का महासचिव बना था। इससे पहले गणपति या मुप्पला लक्ष्मण राव 2004 में पीपुल्स वार और एमसीसी के विलय के बाद सीपीआई (माओवादी) के पहले महासचिव थे। माना जाता है कि गणपति फिलीपींस भाग गया है।
बसवा राजू ने आरईसी वारंगल से ग्रेजुएशन किया था और उनकी उम्र लगभग 70 वर्ष थी।
माओवादी संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
बसवा राजू को चिंतलनार में सीआरपीएफ के 76 जवानों की हत्या और झीरम घाटी में कांग्रेस काफिले पर हमला कराने का मास्टरमाइंड माना जाता है। झीरम घाटी हमले में राज्य के पार्टी नेताओं को चाकू और गोली से निशाना बनाया गया था।
वह आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के रहने वाले थे और बचपन से ही माओवादी विचारधारा की ओर आकर्षित थे। 1980 के दशक की शुरुआत में वे सीपीआई (एमएल) पीपुल्स वार ग्रुप में शामिल हुए।
कबड्डी खिलाड़ी से माओवादी कमांडर तक का सफर
स्कूल और जूनियर कॉलेज में कबड्डी खिलाड़ी रहे बसवा राजू ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वारंगल से बीटेक की डिग्री प्राप्त की। उस समय एनआईटी माओवादी विचारधारा का गढ़ बन चुका था, जहां कई छात्र माओवादी आंदोलन में शामिल हो गए थे।
बसवा राजू ने सीपीआई (माओवादी) के सैन्य आयोग का नेतृत्व किया और आंध्र प्रदेश, ओडिशा तथा छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर माओवादी गतिविधियों को अंजाम दिया। उन्हें लिट्टे जैसे गुरिल्ला आंदोलनों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए भी जाना जाता था।
एक्सप्लोसिव विशेषज्ञ और इनामी नक्सली
बसवा राजू एक्सप्लोसिव यानी IED तैयार करने में माहिर थे। वे सुरक्षाबलों पर हमले के लिए घातक बम बनाने का काम करते थे। उनकी शिनाख्त पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 1 करोड़ रुपये का इनाम रखा था।
23 सितंबर 2018 को माओवादियों द्वारा अराकू तेलुगु देशम पार्टी के विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और पूर्व विधायक सिवेरी सोमा की हत्या की योजना बसवराजू ने ही बनाई थी।