कान्स (फ्रांस)। Cannes 2025: दुनिया भर में फैशन, सिनेमा और ग्लैमर के प्रतीक कान्स फिल्म फेस्टिवल 2025 इस बार एक असाधारण और प्रेरणादायक क्षण का गवाह बना, जब छत्तीसगढ़ की बेटी जुही व्यास ने रेड कार्पेट पर सिर्फ स्टाइल और शोभा के लिए नहीं, बल्कि संकटग्रस्त पृथ्वी की पीड़ा को स्वर देने के लिए कदम रखा।
भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए जुही ने अपनी राष्ट्रीय निदेशक मोहिनी शर्मा के साथ मिलकर ग्रीनपीस इंडिया के वैश्विक पर्यावरणीय अभियान “वॉयस ऑफ द प्लैनेट” (Voice of the Planet) को मंच प्रदान किया। इस अभियान का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, समुद्री प्रदूषण और पारिस्थितिकी संतुलन के संकट को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाना था।

आग से सजे गाउन में चेतावनी का संदेश
जुही का परिधान महज एक फैशन स्टेटमेंट नहीं, बल्कि धरती के जलते घावों की प्रतीकात्मक प्रस्तुति था। यह गाउन प्रसिद्ध वियतनामी डिज़ाइनर Nguyen Tien Trien द्वारा विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया था। इसमें लाल और अंगारों की तरह चमकते रंगों का उपयोग कर बढ़ते तापमान, ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु अन्याय को उजागर किया गया था। जुही का यह लुक प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बनकर उभरा।
“यह फैशन नहीं, भविष्य की पुकार है” — जुही व्यास
रेड कार्पेट पर जुही ने कहा, “यह सिर्फ फैशन नहीं है, यह उन लोगों की आवाज़ है, जिनके घर बाढ़ में बह गए, जिनके बच्चे जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं। एक मां के रूप में यह मेरे लिए व्यक्तिगत है। मुझे अपने बच्चे और इस धरती के लिए बोलना ही होगा।” उनकी यह बात न केवल संवेदनशीलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सौंदर्य और सामाजिक जिम्मेदारी को एक साथ प्रस्तुत किया जा सकता है।

चेतावनी के रूप में फैशन
जुही और मोहिनी की रेड कार्पेट उपस्थिति एक जागरूकता अभियान थी जिसमें उन्होंने समुद्रों की बिगड़ती स्थिति, प्लास्टिक प्रदूषण और ‘High Seas Treaty’ के तत्काल अनुमोदन की जरूरत पर बल दिया। उनका संदेश स्पष्ट था: “फैशन सिर्फ खूबसूरती नहीं, बल्कि चेतावनी, ज़िम्मेदारी और बदलाव का माध्यम भी है।”
छत्तीसगढ़ का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोशन
यह पल छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है। एक छोटे राज्य से निकलकर जुही ने साबित किया कि जब मकसद सच्चा और आवाज बुलंद हो, तो वह दुनिया भर में गूंज सकती है। उन्होंने भारत की ओर से न केवल ग्लैमर का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि धरती की पीड़ा और पर्यावरणीय न्याय की मांग को भी विश्व समुदाय के समक्ष रखा।
