अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ सरकार ने पूरे प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन अभियान चलाया। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े के मार्गदर्शन में यह अभियान बाल सुरक्षा, शिक्षा और गरिमामय जीवन को सुनिश्चित करने के संकल्प के साथ चलाया गया।
प्रदेशभर में श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा विभाग, पुलिस और बाल संरक्षण इकाइयों के समन्वय से बाल श्रमिकों की पहचान, पुनर्वास और जन-जागरूकता के लिए अभियान संचालित किए गए।
महासमुंद: बाल श्रम पर सख्त कार्रवाई के निर्देश
महासमुंद में कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह ने विभागीय बैठक लेकर स्पष्ट निर्देश दिए कि बाल श्रम की किसी भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- 15 जून से 30 जून तक बाल श्रमिकों की पहचान के लिए विशेष अभियान चलेगा।
- होटल, ढाबा, दुकानों, निर्माण स्थलों आदि पर संयुक्त जांच दल द्वारा निरीक्षण किया जाएगा।
- विकासखंड स्तर पर रैलियां, पोस्टर प्रदर्शनी और स्कूलों में विशेष सत्र आयोजित होंगे।
- स्कूल से बाहर बच्चों को पुनः शिक्षा से जोड़ा जाएगा और उनके परिवारों को सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा।
श्रम विभाग की कार्रवाई
श्रम पदाधिकारी श्री डी.एन. पात्र ने बताया कि:
- 2024 में 92 संस्थानों के निरीक्षण में 14 संस्थानों पर अभियोजन किया गया, जिनमें से 9 पर जुर्माना लगा।
- 2025 में अब तक 52 संस्थानों का निरीक्षण हुआ, जिसमें सूचना बोर्ड न लगाने पर 12 संस्थानों के विरुद्ध कार्रवाई की गई।
कोण्डागांव: रेस्क्यू और पुनर्वास
कोण्डागांव जिले में कलेक्टर श्रीमती नुपूर राशि पन्ना के मार्गदर्शन में होटल, ढाबा, मोटर गैरेज और दुकानों में विशेष निरीक्षण अभियान चलाया गया।
- दो बच्चों को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
- उन्हें परिवार के पास सुरक्षित रूप से पुनर्वासित किया गया और शिक्षा विभाग के माध्यम से स्कूल से जोड़ा जाएगा।
कानूनी प्रावधान और दंड
- 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का नियोजन पूर्णतः प्रतिबंधित है।
- 14 से 18 वर्ष के किशोरों को खतरनाक व्यवसायों में नियोजित करना दंडनीय अपराध है।
- दोषी पाए जाने पर 6 माह से 2 वर्ष की सजा या ₹20,000 से ₹50,000 तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- शिकायत दर्ज करने के लिए टोल फ्री नंबर: 1098 और 1800-2332-197
संकल्प: शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान
छत्तीसगढ़ सरकार का यह अभियान बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत बच्चों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें गरिमापूर्ण जीवन देने की दिशा में ठोस कदम है।
यह अभियान न सिर्फ कानून का क्रियान्वयन है, बल्कि एक सामाजिक चेतना भी है, जो बाल मजदूरी के खिलाफ हर नागरिक को संवेदनशील बनाने का प्रयास करता है।