पचमढ़ी मध्य प्रदेश का सबसे खूबसूरत हिल स्टेशन हैं. जिसे सतपुड़ा की रानी के नाम से भी जाना जाता है बारिश के मौसम में हरे-भरे जंगल,पहाड़ और झरने का दृश्य बेहद मनमोहक होता है. यहां पर बहुत सी जगहें घूमने के लिए हैं मध्य प्रदेश में है सदाबहार सतपुड़ा पर्वत पर मौजूद पचमढ़ी,उन लोगों के एक आर्दश जगह है जिनके लिए बहते झरने, प्राचीन तालाब और हरे-भरे जंगल में समय बिताना पहली पसंद होती है. इसलिए मानसून के सीजन में यहां के दृश्य मनमोहक और खूबसूरती लिए होते हैं. पचमढ़ी आकर हर कोई सब कुछ भूलकर कुछ पल के लिए प्रकृति में खो जाता है.
यहाँ महादेव, चौरागढ़ का मंदिर, रीछागढ़, डोरोथी डीप रॉक शेल्टर, जलावतरण, सुंदर कुंड, इरन ताल, धूपगढ़, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान 1981 में बनाया गया जिसका क्षेत्रफल 524 वर्ग किलोमीटर है। यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहाँ रुकने के लिए उद्यान के निर्देशक से अनुमति लेना जरूरी है। इसके अलावा यहाँ कैथोलिक चर्च और क्राइस्ट चर्च भी हैं।
प्रियदर्शिनी प्वाइंट यहाँ से सूर्यास्त का दृश्य बहुत ही लुभावना लगता है। तीन पहाड़ी शिखर बायीं तरफ चौरादेव, बीच में महादेव तथा दायीं ओर धूपगढ़ दिखाई देते हैं। इनमें धूपगढ़ सबसे ऊँची चोटी है।
रजत प्रपात यह अप्सरा विहार से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 350 फुट की ऊँचाई से गिरता इसका जल इसका जल एकदम दूधिया चाँदी की तरह दिखाई पड़ता है।
बी फॉल यह जमुना प्रपात के नाम से भी जाना जाता है। यह नगर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पिकनिक मनाने के लिए यह एक आदर्श जगह है।
राजेंद्र गिरि इस पहाड़ी का नाम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखा गया है। सन 1953 में डॉक्टर प्रसाद स्वास्थ्य लाभ के लिए यहाँ आकर रुके थे और उनके लिए यहाँ रविशंकर भवन बनवाया गया था। इस भवन के चारों ओर प्रकृति की असीम सुंदरता बिखरी पड़ी है।
हांडी खोह यह खाई पचमढ़ी की सबसे गहरी खाई है जो 300 फीट गहरी है। यह घने जंगलों से ढँकी है और यहाँ कल-कल बहते पानी की आवाज सुनना बहुत ही सुकूनदायक लगता है। वनों के घनेपन के कारण जल दिखाई नहीं देता; पौराणिक संदर्भ कहते हैं कि भगवान शिव ने यहाँ एक बड़े राक्षस रूपी सर्प को चट्टान के नीचे दबाकर रखा था। स्थानीय लोग इसे अंधी खोह भी कहते हैं जो अपने नाम को सार्थक करती है; यहाँ बने रेलिंग प्लेटफार्म से घाटी का नजारा बहुत सुंदर दिखता है।
जटाशंकर गुफा यह एक पवित्र गुफा है जो पचमढ़ी कस्बे से 1 किलोमीटर दूरी पर है। यहाँ तक पहुँचने के लिए कुछ दूर तक पैदल चलना पड़ता है। मंदिर में शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बना हुआ है। यहाँ एक ही चट्टान पर बनी हनुमानजी की मूर्ति भी एक मंदिर में स्थित है। पास ही में हार्पर की गुफा भी है।
पांडव गुफा महाभारत काल की मानी जाने वाली पाँच गुफाएँ यहाँ हैं जिनमें द्रौपदी कोठरी और भीम कोठरी प्रमुख हैं। पुरातत्वविद मानते हैं कि ये गुफाएँ गुप्तकाल की हैं, जिन्हें बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया था।
अप्सरा विहार पांडव गुफाओं से आगे चलने पर 30 फीट गहरा एक ताल है जिसमें नहाने और तैरने का आनंद लिया जा सकता है। इसमें एक झरना आकर गिरता है।
निकटतम हवाई अड्डा राजाभोज, भोपाल हवाई अड्डा है, जो की भोपाल ,मध्यप्रदेश में है . भोपाल से नर्मदापुरम् 70 किलोमीटर है। भोपाल से पचमढ़ी के लिए टैक्सी आसानी से मिल सकती है।
पचमढ़ी तक पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन पिपरिया है। पचमढ़ी पिपरिया रेलवे स्टेशन से 40 किलोमीटर दूर है।
पचमढ़ी नर्मदापुरम् और पिपरिया के माध्यम से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। नर्मदापुरम् से सड़क मार्ग द्वारा पचमढ़ी 110 किलोमीटर है।
वन विभाग द्वारा संचालित फॉरेस्ट रेस्ट हाउस और गेस्ट हाउस और इसके आसपास के क्षेत्रों में स्थित हैं। ये आरामदायक रहने की जगह हैं और पर्यटकों को प्रकृति के करीब रहने का अनुभव प्रदान करती हैं।