नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों की एक अहम बैठक की अध्यक्षता की। इस उच्चस्तरीय बैठक का मुख्य उद्देश्य संगठनात्मक अनुशासन को सुदृढ़ करना और आगामी चुनावों के मद्देनज़र रणनीति को स्पष्ट करना रहा।
सूत्रों के अनुसार, समापन भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने नेताओं को कड़े शब्दों में सलाह दी कि वे सार्वजनिक मंचों पर संयमित भाषा का प्रयोग करें और विवादास्पद एवं अनावश्यक बयानों से परहेज करें। उन्होंने कहा, “सार्वजनिक जीवन में हर मुद्दे पर बोलना आवश्यक नहीं होता। संयम और विवेक से दी गई प्रतिक्रिया ही संगठन के हित में होती है।” हाल ही में कुछ भाजपा नेताओं के विवादित बयानों के चलते उपजे राजनीतिक विवादों को देखते हुए यह संदेश अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत एनडीए शासित राज्यों के 20 मुख्यमंत्री और 18 उपमुख्यमंत्री उपस्थित रहे।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की दृढ़ कूटनीति का प्रतीक
बैठक के दौरान पारित एक प्रस्ताव में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के प्रति केंद्र सरकार की अडिग प्रतिबद्धता बताया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सैन्य एवं कूटनीतिक पहल को भारत की रणनीतिक सफलता करार देते हुए स्पष्ट किया कि यह सीजफायर किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण नहीं, बल्कि पाकिस्तान की पहल पर हुआ है — जो भारत की निर्णायक कूटनीति का परिणाम है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ऑपरेशन सिंदूर की सराहना करते हुए कहा, “अब ‘जो टकराएगा, वो बचेगा नहीं’ केवल नारा नहीं, बल्कि एनडीए सरकार की नीति का प्रमाण बन चुका है।”
जातिगत जनगणना: कल्याणकारी योजनाओं की दिशा में एक कदम
प्रधानमंत्री ने जातिगत जनगणना को लेकर उठ रहे सवालों पर स्पष्ट करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य सिर्फ आंकड़ों के आधार पर योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाना है, न कि जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा देना। उन्होंने दोहराया, “हमारी नीति कभी भी जातिवाद की राजनीति नहीं रही है, लेकिन यदि आंकड़े सामाजिक योजनाओं को बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं, तो उनका स्वागत किया जाना चाहिए।”
चुनावी रणनीति और संगठनात्मक अनुशासन पर ज़ोर
बैठक को आगामी लोकसभा चुनावों की रणनीति निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसमें एनडीए की एकजुटता, अनुशासन और संवाद की स्पष्टता को प्राथमिकता दी गई। प्रधानमंत्री मोदी का संयम और संकल्प पर बल देना न केवल संगठन के अनुशासन को मज़बूत करने की दिशा में एक प्रयास है, बल्कि पार्टी की सार्वजनिक छवि को सुरक्षित रखने का भी संकेत है।