गुरु गोबिंद सिंह जयंती सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। यह दिन गुरु गोबिंद सिंह जी के महान व्यक्तित्व, उनके जीवन और उनके योगदान को सम्मानित करने का अवसर है।
गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन परिचय
- जन्म: गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना साहिब (बिहार) में हुआ था।
- मूल नाम: उनका जन्म नाम ‘गोबिंद राय’ था।
- पिता: गुरु तेग बहादुर जी, जो सिखों के नौवें गुरु थे।
- माता: माता गुजरी।
- गुरु पद: 11 नवंबर 1675 को, अपने पिता की शहादत के बाद, गुरु गोबिंद सिंह जी को सिख धर्म के दसवें गुरु के रूप में नियुक्त किया गया।
- मृत्यु: गुरु गोबिंद सिंह जी का निधन 7 अक्टूबर 1708 को नांदेड़ (महाराष्ट्र) में हुआ।
गुरु गोबिंद सिंह जी के योगदान
1. खालसा पंथ की स्थापना (1699)
गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने पाँच प्यारों (पंज प्यारों) का चयन किया और उन्हें अमृतपान (दीक्षा) देकर सिख धर्म की पहचान “सिंह” और “कौर” प्रदान की।
2. धर्म और न्याय की रक्षा
गुरु गोबिंद सिंह जी ने अत्याचार और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने मुगलों और अन्य आक्रांताओं के खिलाफ सिख समुदाय को संगठित किया।
3. चार साहिबजादों की शहादत
गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों पुत्र (चार साहिबजादे) धर्म की रक्षा के लिए शहीद हुए।
- अजीत सिंह और जुझार सिंह: चमकौर की लड़ाई में वीरगति को प्राप्त हुए।
- फतेह सिंह और जोरावर सिंह: सरहिंद के नवाब द्वारा दीवार में जीवित चुनवा दिए गए।
4. गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु का दर्जा देना
गुरु गोबिंद सिंह जी ने घोषणा की कि उनके बाद कोई अन्य गुरु नहीं होगा। उन्होंने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का शाश्वत गुरु घोषित किया।
5. साहित्य और शिक्षा
गुरु गोबिंद सिंह जी ने युद्ध कला, साहित्य और संगीत में गहरी रुचि ली।
- उन्होंने खुद कई ग्रंथों की रचना की, जैसे जाप साहिब, चंडी दी वार, और अकाल उस्तत।
- उन्होंने सिखों को शिक्षित और सशक्त बनने पर जोर दिया।
6. सामरिक शक्ति का विकास
गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों को सैन्य प्रशिक्षण दिया और उन्हें संगठित सेना में परिवर्तित किया। उन्होंने कहा:
“चिड़ियों से मैं बाज लड़ाऊं, सवा लाख से एक लड़ाऊं।”
गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षा
गुरु गोबिंद सिंह जी ने समर्पण, सेवा, और साहस का पाठ सिखाया। उन्होंने न्याय, समानता और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया। उनका जीवन आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती सिख धर्म के अनुयायियों के लिए न केवल एक पर्व है, बल्कि उनके बलिदान और शिक्षाओं को याद करने का समय है।