भारत का राष्ट्रीय पेड़ बरगद (Ficus benghalensis) है। इसे “बनयान ट्री” के नाम से भी जाना जाता है। बरगद के पेड़ को भारत में उसके सांस्कृतिक, धार्मिक, और पर्यावरणीय महत्व के कारण राष्ट्रीय पेड़ का दर्जा दिया गया है। इसकी विशेषताएं और महत्व निम्नलिखित हैं:
विशेषताएं
- आकार और लंबी आयु:
- बरगद का पेड़ बहुत विशाल और लंबा होता है।
- इसकी शाखाओं से जड़ें निकलती हैं, जो जमीन में पहुंचकर नए पेड़ों का रूप ले लेती हैं।
- इसे हजारों सालों तक जीवित रहने वाला पेड़ माना जाता है।
- विस्तार:
- यह एक ऐसा पेड़ है जो खुद को बार-बार फैलाने की क्षमता रखता है।
- इसकी छाया बहुत घनी होती है और यह कई किलोमीटर तक फैल सकता है।
- पर्यावरणीय महत्व:
- यह हवा को शुद्ध करता है और मिट्टी के क्षरण को रोकता है।
- पक्षियों, पशुओं और कीटों के लिए यह एक महत्वपूर्ण आश्रयस्थल है।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
- धार्मिक महत्व:
- इसे हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है।
- कई धार्मिक ग्रंथों और कथाओं में इसका उल्लेख मिलता है।
- इसे भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है।
- समाज और परंपराएं:
- ग्रामीण इलाकों में इसे सामुदायिक केंद्र के रूप में उपयोग किया जाता है।
- गांवों में लोग इसके नीचे बैठकें और पूजा करते हैं।
- अन्य मान्यताएं:
- इसे दीर्घायु और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
- इसका उल्लेख महाभारत और अन्य प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है।
भारत में प्रसिद्ध बरगद के पेड़
- द ग्रेट बनयान ट्री (आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डन, कोलकाता):
- यह दुनिया का सबसे बड़ा बरगद का पेड़ माना जाता है।
- इसकी छाया 14,500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैली हुई है।
- थिमम्मा मरियमन्नू (आंध्र प्रदेश):
- यह एक प्राचीन और विशाल बरगद का पेड़ है, जिसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी स्थान मिला है।
संरक्षण का महत्व
बरगद का पेड़ न केवल पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहायक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक भी है। इसे संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।