बर्लिन/नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिलना शुरू हो गया है। जर्मनी ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाते हुए भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को जायज ठहराया है। जर्मन विदेश मंत्री जोहान वेडफुल ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने और आतंकवाद से निपटने का पूरा अधिकार है।
उन्होंने कहा, “हम 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए क्रूर आतंकवादी हमले से स्तब्ध हैं। भारत को निश्चित रूप से आतंकवाद के खिलाफ अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है।” वेडफुल ने भारत द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई के बाद लागू हुए युद्धविराम की भी सराहना की और कहा कि “यह एक स्वागतयोग्य कदम है, जिसे बनाए रखना बेहद जरूरी है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि क्षेत्रीय तनावों को हल करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।
भारत की सैन्य प्रतिक्रिया को जर्मनी का समर्थन
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को धर्म पूछकर 26 पर्यटकों की नृशंस हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इसके जवाब में भारत ने 6-7 मई की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाते हुए पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई भारत की आतंकवाद के खिलाफ मजबूत नीति का परिचायक मानी जा रही है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूरोपीय दौरे पर स्पष्ट किया कि भारत अब सीमा पार आतंकवाद को युद्ध की कार्रवाई मानता है और उसका जवाब भी उतना ही कठोर होगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत पाकिस्तान से केवल द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत करेगा और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा।
भारत-जर्मनी संबंधों को मिलेगी नई गति
जर्मनी का यह स्पष्ट समर्थन न केवल भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को वैधता देता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मंच पर भारत की स्थिति को भी मजबूत बनाता है। भारत और जर्मनी पहले से ही आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को लेकर प्रतिबद्ध हैं, और अब इस दिशा में और अधिक रणनीतिक समन्वय की संभावना बढ़ गई है।
यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति को वैश्विक मंच पर स्वीकार्यता मिल रही है, और विश्व के बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के आत्मरक्षा के अधिकार के साथ खड़े हैं।