सोशल मीडिया से घट रही बच्चों की याददाश्त: डॉक्टरों की चेतावनी
बढ़ रही बीमारियां, सिगरेट-शराब की तरह खतरे की चेतावनी देने की जरूरत
बच्चों और किशोरों में सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग अब सिर्फ समय की बर्बादी नहीं, बल्कि गंभीर मानसिक और शारीरिक समस्याओं का कारण बन रहा है। हालिया अध्ययनों में पाया गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगातार स्क्रॉल करने से बच्चों की याददाश्त कमजोर हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रभाव इतना खतरनाक है कि इसे सिगरेट और शराब की तरह एक गंभीर लत मानते हुए चेतावनी देने की जरूरत है।
याददाश्त पर गहरा असर
डॉक्टरों के मुताबिक, सोशल मीडिया पर घंटों बिताने से बच्चों के दिमाग में सूचनाओं को प्रोसेस करने और याद रखने की क्षमता कमजोर हो रही है। बार-बार बदलते विजुअल कंटेंट और छोटी-छोटी क्लिप्स देखने की आदत से उनका ध्यान भंग होता है, जिससे एकाग्रता और सीखने की क्षमता प्रभावित होती है।
बढ़ रही मानसिक और शारीरिक समस्याएं
सोशल मीडिया के अधिक उपयोग से बच्चों में तनाव, चिंता, नींद की कमी और डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियां बढ़ रही हैं। इसके अलावा, स्क्रीन टाइम ज्यादा होने से मोटापा, आंखों की समस्याएं और सुस्त जीवनशैली जैसी शारीरिक परेशानियां भी देखी जा रही हैं।
डॉक्टरों की चेतावनी: देना होगा बड़ा संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार और अभिभावकों को मिलकर सोशल मीडिया की लत को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। जैसे सिगरेट और शराब के पैकेट पर चेतावनी लिखी जाती है, वैसे ही सोशल मीडिया ऐप्स पर भी उपयोग के खतरे की चेतावनी दिखाई जानी चाहिए।
बच्चों को कैसे बचाएं?
- सोशल मीडिया का उपयोग सीमित करें और स्क्रीन टाइम के लिए नियम बनाएं।
- बच्चों को आउटडोर गतिविधियों और किताबें पढ़ने की ओर प्रेरित करें।
- डिजिटल डिटॉक्स को अपनाएं और परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं।
- अभिभावक बच्चों के सोशल मीडिया व्यवहार पर नजर रखें और सही मार्गदर्शन दें।
निष्कर्ष: सोशल मीडिया जहां एक ओर मनोरंजन और जानकारी का माध्यम है, वहीं इसका अत्यधिक उपयोग बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा असर डाल रहा है। डॉक्टरों की सलाह है कि इसे हल्के में न लें और समय रहते आवश्यक कदम उठाएं।