छत्तीसगढ़: पुलिस आरक्षक भर्ती रद्द, गड़बड़ियों के आरोप के बाद बड़ा फैसला
राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव जिले में आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया को राज्य सरकार ने गड़बड़ियों के आरोपों के बाद रद्द कर दिया है। यह निर्णय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा द्वारा लिया गया।
क्या है मामला?
राजनांदगांव में पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया के तहत 528 पदों के लिए फिजिकल टेस्ट और अन्य चयन प्रक्रियाएं आयोजित की गई थीं। इस दौरान शिकायतें सामने आईं कि अंकों की गलत एंट्री और धांधली हुई है।
इसके अलावा, फिजिकल टेस्ट में गड़बड़ी के आरोप लगने के बाद पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच शुरू की।
भर्ती में हुई गड़बड़ियां
- अंकों की गलत एंट्री: लगभग 3,000 उम्मीदवारों के फिजिकल टेस्ट में गलत तरीके से अंक दिए गए।
- गिरफ्तारियां: अब तक इस मामले में 7 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें 4 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
- आत्महत्या का मामला: इस बीच, भर्ती प्रक्रिया में लगे एक आरक्षक अनिल रत्नाकर ने आत्महत्या कर ली। उनके हाथ पर मिले संदेश में अधिकारियों पर आरोप लगाए गए हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया
गृहमंत्री विजय शर्मा ने मामले को गंभीर मानते हुए पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया। इसके साथ ही, इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है। SIT को 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
गृहमंत्री ने कहा, “हम दोषियों को कड़ी सजा देंगे और भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएंगे। उम्मीदवारों को न्याय मिलेगा।”
विपक्ष का हमला
विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मामले पर राज्य सरकार और गृहमंत्री पर हमला बोला है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा, “यह सरकार की बड़ी विफलता है। गृहमंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। इस मामले की जांच एसआईटी से नहीं, बल्कि सीबीआई से होनी चाहिए।”
उम्मीदवारों का आक्रोश
भर्ती प्रक्रिया के रद्द होने से हजारों उम्मीदवारों में नाराजगी है। कुछ उम्मीदवारों ने कहा कि प्रशासन को प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी चाहिए थी।
क्या होगा आगे?
- SIT की जांच रिपोर्ट आने के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी।
- राज्य सरकार ने भरोसा दिलाया है कि दोषियों को सजा दी जाएगी और भर्ती प्रक्रिया को दोबारा पारदर्शी तरीके से शुरू किया जाएगा।
यह मामला राज्य में सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर रहा है और यह देखना होगा कि सरकार आगे इसे कैसे सुलझाती है।