पुनर्जन्म का विषय लंबे समय से चर्चाएं चल रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुनर्जन्म के पीछे न केवल आध्यात्मिक बल्कि कुछ ऐसे तथ्य भी जुड़े हुए हैं, जिन्हें हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों में भी इसका विवरण किया गया है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, सभी जीवो में आत्मा निवास करती है, जिसे परमात्मा का अंश माना जाता है। जब एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो सिर्फ शरीर रह जाता है।
मृत्यु के बाद आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में स्थान ग्रहण कर लेती है। शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति पूर्व जन्म में अच्छे कर्म करता है, उसका फल उसे अगले जन्म में प्राप्त होता है। साथ ही जो बुरा कर्म करता है उसे अगले जन्म में उसकी सजा अगले जन्म में भोगनी पड़ती है। हमारे जीवन में जो वर्तमान स्थिति बनी हुई है वह हमें पूर्व जन्मों के फल के रूप में प्राप्त हुई है। जन्म, मृत्यु और पुनः जन्म यह सभी जीवन के चक्र हैं। यह तब तक चलता है जब तक एक आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो जाती है।
बता दें कि न केवल हिंदू धर्म में बल्कि बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म में भी पुनर्जन्म पर विश्वास किया जाता है। इसके साथ-साथ मिस्र और ग्रीक की प्राचीन संस्कृतियां भी पुनर्जन्म के सिद्धांत पर विश्वास करती थीं। कई वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा भी इस पर शोध किया गया है और उन्होंने यह पाया था कि लगभग 20% वयस्क पुनर्जन्म पर विश्वास दिखाते हैं।
अथर्ववेद से हमें यह प्राप्त होता है कि अगले जन्म में व्यक्ति को किन-किन चीजों की प्रार्थना भगवान से करनी चाहिए। इसमें लिखा गया है “अगले जन्म में हमें स्वस्थ इन्द्रियां प्राप्त हो। मैं शक्ति से भरपूर रहूं और मुझे आध्यात्मिक संपदा, ईश्वर तथा वैदिक ज्ञान की प्राप्ति हो। अगले जन्म में मैं विश्व के कल्याण के लिए बार-बार निस्वार्थ भाव से कार्य करूं और हमारे कर्म श्रेष्ठ हो, ताकि हमें मानव जीवन में हमेशा मन और कर्मों की पवित्रता बनी रहे। इसके साथ हम आपकी पूजा कर सकें और मोक्ष की प्राप्ति हो सके।।” इसमें परमात्मा से यह प्रार्थना की जा रही है कि अगले जन्म में हमारे कर्म ऐसे हो कि अगले जन्म में व्यक्ति को जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त होकर मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।
वैदिक शास्त्रों में बताया गया है कि अधिकांश समय पुनर्जन्म मनुष्य के रूप में ही होता है। लेकिन पूर्व जन्म में किए गए कर्मों के अनुसार, व्यक्ति को जानवर या पेड़-पौधों का रूप भी मिल सकता है। सामान्य रूप से एक ही लिंग के 3 जन्म प्राप्त होते हैं हमें हर जन्म में अलग-अलग लिंग मिलता है।
इसके साथ पुनर्जन्म में अच्छे कर्म करने से पूर्व जन्म में किए गए बुरे कर्म समाप्त हो जाते हैं। लेकिन बुरे कर्मों के लिए कष्ट भोगना पड़ता है और अच्छे कर्मों से सुख की प्राप्ति होती है। आपको यह भी बता दें कि मृत्यु के तुरंत बाद अगला जन्म नहीं मिलता है। बल्कि एक व्यक्ति की आत्मा 7 स्तरों से गुजरती है और कर्मों के अनुसार, उचित परिस्थितियां जब निर्मित होती है, तब मनुष्य रूप में दोबारा जन्म होता है।
इसके साथ श्रीमद्भागवत गीता में भी बताया गया है कि केवल मनुष्य को ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। आत्मा को 84 लाख योनियों को पार करने के बाद ही मनुष्य योनि मिलती है और मोक्ष जीवन का अंतिम लक्ष्य होता है: