Story Of Mouse: 1960 के दशक में डगलस ने “ऑनलाइन सिस्टम” पर काम करना शुरू किया। इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य था कि उपयोगकर्ता कंप्यूटर के साथ आसानी से संवाद कर सकें। इसी दौरान उन्होंने एक ऐसा उपकरण बनाया, जिससे स्क्रीन पर मौजूद कर्सर को नियंत्रित किया जा सके।
कंप्यूटर माउस आज हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है। यह छोटा सा गैजेट हमारे लिए तकनीकी तौर पर कितना महत्वपूर्ण है इसे बताने की शायद ही जरूरत है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका आविष्कार किसने किया और कैसे यह संभव हुआ? इस कहानी के नायक थे डगलस एंगेलबार्ट (Douglas Engelbart), जिनकी दूरदर्शिता और मेहनत ने इस अद्भुत आविष्कार को जन्म दिया।
माउस को बनाने वाले डगलस एंगेलबार्ट का शुरुआती जीवन
डगलस का जन्म 30 जनवरी 1925 को अमेरिका के ओरेगन में हुआ था। बचपन से ही वह नई चीजें जानने और बनाने में रुचि रखते थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने रेडार तकनीक पर काम किया, लेकिन जब उन्होंने युद्ध के बाद कंप्यूटर तकनीक के बारे में पढ़ा, तो उनके भीतर कुछ अलग और बड़ा करने का विचार आया।
आविष्कार की प्रेरणा
1950 के दशक में जब कंप्यूटर बड़े-बड़े कमरे भरने वाले गैजेट होते थे और केवल गणना करने के लिए उपयोग किए जाते थे, तब डगलस ने सोचा कि कंप्यूटर का उपयोग केवल वैज्ञानिक कार्यों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उनका सपना था कि कंप्यूटर को एक ऐसा उपकरण बनाया जाए, जो मानव मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ा सके। इस विचार के साथ डगलस ने “मानव-कंप्यूटर इंटरफेस” पर काम करना शुरू किया। वह चाहते थे कि कंप्यूटर का उपयोग करना आसान और सभी के लिए सुलभ हो।
माउस का जन्म
1960 के दशक में डगलस ने “ऑनलाइन सिस्टम” पर काम करना शुरू किया। इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य था कि उपयोगकर्ता कंप्यूटर के साथ आसानी से संवाद कर सकें। इसी दौरान उन्होंने एक ऐसा उपकरण बनाया, जिससे स्क्रीन पर मौजूद कर्सर को नियंत्रित किया जा सके। यह एक लकड़ी का छोटा डिब्बा था, जिसमें दो धातु के पहिए लगे थे। इसे उन्होंने नाम दिया “X-Y पोजिशन इंडिकेटर”, जिसे बाद में “माउस” कहा जाने लगा। उन्होंने 1967 में इसका पेटेंट करवाया। दिलचस्प बात यह है कि इसे “माउस” इसलिए कहा गया, क्योंकि इसका आकार चूहे जैसा था और इसकी तार चूहे की पूंछ की तरह लगती थी।
पहली सार्वजनिक प्रस्तुति
9 दिसंबर 1968 को डगलस ने इस आविष्कार को पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम को “मदर ऑफ ऑल डेमोस” के नाम से जाना जाता है। उन्होंने माउस के साथ-साथ हाइपरलिंक्स, विंडोज और रियल-टाइम टेक्स्ट एडिटिंग जैसी तकनीकों का प्रदर्शन किया। यह वो समय था जब इन चीजों की कल्पना करना भी असंभव लगता था।
आर्थिक सफलता नहीं मिली
डगलस का माउस तकनीकी दुनिया में क्रांति लेकर आया, लेकिन इसका आर्थिक लाभ उन्हें नहीं मिला। पेटेंट की वैधता समाप्त होने से पहले माउस व्यावसायिक रूप से सफल नहीं हो पाया। बाद में, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट और अन्य कंपनियों ने इसे अपनाया और इसे लोकप्रिय बनाया। डगलस ने 2 जुलाई 2013 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी विरासत हर बार याद आती है जब हम कंप्यूटर माउस को अपने हाथ में लेते हैं।