दक्षिण काकेशस में भू-राजनीतिक संतुलन तेजी से बदल रहा है। भारत और फ्रांस ने अर्मेनिया के साथ रक्षा सहयोग को नए मुकाम पर पहुंचा दिया है। हाल के वर्षों में किए गए बड़े रक्षा सौदों से अर्मेनिया की सैन्य ताकत कई गुना बढ़ गई है, जिससे अज़रबैजान की पेशानी पर बल पड़ना तय है। बता दें कि अज़रबैजान न सिर्फ अर्मेनिया का पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी है, बल्कि पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों का भी करीबी साझेदार है।
भारत से क्या-क्या हथियार मिले अर्मेनिया को?
रूसी अंतरराष्ट्रीय मामलों की परिषद (RIAC) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 के बीच अर्मेनिया ने भारत से 1.5 अरब डॉलर से अधिक के रक्षा सौदे किए। इन सौदों में शामिल हैं:
- 214 मिमी पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम
- 155 मिमी ATAGS आधुनिक तोपखाना प्रणाली
- ZADS काउंटर-ड्रोन सिस्टम
- आकाश-1S और अगली पीढ़ी का आकाश-NG एयर डिफेंस सिस्टम
- कोंकुर एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम (रूसी लाइसेंस के तहत भारत में निर्मित)
- मोर्टार और विविध युद्ध सामग्री
इन हथियारों से अर्मेनिया को न सिर्फ अपनी रक्षा क्षमता बढ़ाने में मदद मिली है, बल्कि दुश्मन की घुसपैठ का जवाब देने में भी मजबूती मिली है।
फ्रांस भी बना भरोसेमंद रक्षा साझेदार
भारत के साथ-साथ फ्रांस ने भी अर्मेनिया को उन्नत हथियार प्रणालियाँ दी हैं। 2023-24 के दौरान करीब 250 मिलियन डॉलर के समझौते हुए हैं। इनमें शामिल हैं:
- ग्राउंडमास्टर 200 रडार सिस्टम
- मिस्ट्रल-3 मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS)
- सीज़र सेल्फ-प्रोपेल्ड आर्टिलरी यूनिट्स
यह साझेदारी ना सिर्फ सैन्य क्षेत्र में अहम है, बल्कि यह दर्शाती है कि रूस से दूरी बना रहे अर्मेनिया को अब भारत और फ्रांस जैसे देशों से सामरिक समर्थन मिल रहा है।
पाकिस्तान-अज़रबैजान गठजोड़ के लिए चिंता की बात
अर्मेनिया की यह सैन्य मजबूती अज़रबैजान को सीधी चुनौती देती है। ध्यान देने वाली बात है कि अज़रबैजान पाकिस्तान और तुर्की का करीबी है और कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है। ऐसे में भारत द्वारा अर्मेनिया को सैन्य समर्थन देना रणनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
पृष्ठभूमि: नागोर्नो-कराबाख विवाद
अर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच नागोर्नो-कराबाख को लेकर दशकों से संघर्ष चला आ रहा है। सितंबर 2023 में अज़रबैजान ने इस विवादित क्षेत्र पर पूरा कब्जा कर लिया था। इसके बाद अर्मेनिया ने अपनी सैन्य क्षमता को दुरुस्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं।
निष्कर्ष: भारत और फ्रांस की मदद से अर्मेनिया आज नए आत्मविश्वास के साथ अपने दुश्मनों का सामना करने को तैयार है। यह सहयोग न सिर्फ अर्मेनिया की सुरक्षा को बल देगा, बल्कि क्षेत्रीय भू-राजनीति में भी अहम बदलाव ला सकता है।