नई दिल्ली। भारतीय संस्कृति और ज्योतिषशास्त्र में पशु-पक्षियों की गतिविधियों को भविष्य से जुड़ी अहम चेतावनियों और संकेतों के रूप में देखा जाता है। इन्हीं में से एक है छिपकली, जो अक्सर दीवारों पर रेंगती नजर आती है। भले ही छिपकली का स्वरूप डरावना होता है, लेकिन वास्तु और शकुन शास्त्र के अनुसार यह कई बार शुभ और अशुभ संकेत देती है, खासकर जब वह शरीर के किसी विशेष अंग पर गिरती है।
गौली शास्त्र में है विस्तार से वर्णन
दक्षिण भारत में प्रचलित ‘गौली शास्त्र’ में छिपकली के गिरने से जुड़ी भविष्यवाणियों का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह शास्त्र बताता है कि शरीर के किस अंग पर छिपकली गिरना व्यक्ति के जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव, धन लाभ, यात्रा, स्वास्थ्य और अन्य विषयों पर कैसे असर डालता है।

शुभ संकेत देने वाले अंग:
- सिर पर गिरना: बहुत ही शुभ संकेत। जल्द ही कोई बड़ी धनराशि प्राप्त हो सकती है जैसे विरासत, लॉटरी या बोनस।
- दाहिने हाथ पर गिरना: नौकरी या व्यापार में उन्नति, आय में वृद्धि का संकेत।
- छाती पर गिरना: आत्मविश्वास बढ़ेगा, आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
- पीठ पर गिरना: पुराने प्रयासों का फल मिलने वाला है, धन लाभ संभव है।
- दाहिने कंधे पर गिरना: पदोन्नति, नए अवसर या आर्थिक उन्नति का योग।

अशुभ संकेत देने वाले अंग:
- बाएं हाथ पर गिरना: धन हानि, विवाद या मानसिक तनाव का संकेत।
- पैरों पर गिरना: यात्रा में अड़चनें, अनावश्यक खर्चे।
- चेहरे पर गिरना: स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का संकेत, सावधानी की जरूरत।
निष्कर्ष:
छिपकली का शरीर पर गिरना सिर्फ संयोग नहीं माना जाता, बल्कि यह आपके आने वाले समय का पूर्वाभास हो सकता है। यदि यह घटना आपके साथ होती है तो शरीर के अंग के अनुसार इसका विश्लेषण करना वास्तुशास्त्र और ज्योतिष के अनुसार लाभकारी हो सकता है।