गुलज़ार को भी 2023 के लिए मिला प्रतिष्ठित सम्मान, राष्ट्रपति ने दी शुभकामनाएं
नई दिल्ली, 16 मई 2025 — राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में संस्कृत के महान विद्वान जगतगुरु रामभद्राचार्य को वर्ष 2023 के लिए 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया। यह पुरस्कार भारतीय साहित्य के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए दिया गया है।
राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा कि “जगतगुरु रामभद्राचार्य ने साहित्य और समाज सेवा, दोनों ही क्षेत्रों में अनुकरणीय कार्य किया है। उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से न केवल शास्त्रों की गहराई को उजागर किया, बल्कि समाज में नैतिक चेतना का संचार भी किया।”
रामभद्राचार्य जी का साहित्यिक संसार अत्यंत व्यापक है। उन्होंने संस्कृत भाषा में महाकाव्य, टीकाएँ, भाष्य और अध्यात्म से जुड़ी कई मौलिक रचनाएँ प्रस्तुत की हैं। दृष्टिहीन होने के बावजूद उन्होंने जो आध्यात्मिक और बौद्धिक कार्य किए हैं, वे भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने इस अवसर पर प्रसिद्ध शायर और गीतकार गुलज़ार को भी 2023 का ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने पर बधाई दी। स्वास्थ्य कारणों से गुलज़ार समारोह में उपस्थित नहीं हो सके, लेकिन राष्ट्रपति ने आशा जताई कि वे शीघ्र स्वस्थ होंगे और पहले की तरह कला, साहित्य और समाज के लिए सक्रिय रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा, “साहित्य वह शक्ति है जो समाज को जोड़ता है, जागरूक करता है और देश की चेतना को दिशा देता है। 19वीं और 20वीं सदी में जब भारत सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा था, तब साहित्यकारों और कवियों ने जनजागरण की अग्रिम भूमिका निभाई। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का ‘वंदे मातरम’ आज भी भारत के नागरिकों में देशभक्ति की चेतना को जाग्रत करता है।”
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि “यह संस्थान 1965 से भारतीय भाषाओं के साहित्य को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ विविध भाषाओं के श्रेष्ठ साहित्यकारों को उचित सम्मान प्रदान करता रहा है। इसकी चयन प्रक्रिया पारदर्शिता और गुणवत्ता आधारित है, जिसने पुरस्कार की प्रतिष्ठा को बनाए रखा है।”
राष्ट्रपति ने ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त महिला साहित्यकारों का भी विशेष उल्लेख किया। उन्होंने आशापूर्णा देवी, महादेवी वर्मा, अमृता प्रीतम, कुर्रतुल-ऐन-हैदर, महाश्वेता देवी, इंदिरा गोस्वामी, कृष्णा सोबती और प्रतिभा राय जैसी लेखिकाओं के योगदान को याद करते हुए कहा कि इन महिलाओं ने समाज की संवेदनाओं को जिस गहराई से शब्द दिए, वह प्रेरणादायक है। उन्होंने देश की बेटियों से आह्वान किया कि वे भी साहित्यिक सृजन में आगे आएं और समाज को संवेदनशील और समावेशी बनाने में योगदान दें।
अंत में, राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि “रामभद्राचार्य जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि शारीरिक सीमाएं कभी किसी के विचार और संकल्प की शक्ति को नहीं रोक सकतीं। उनका साहित्यिक और सामाजिक योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।”