नई दिल्ली: हिंदू धर्म में तुलसी को देवी तुलसी का स्वरूप माना गया है और इसका पूजन घर में सौभाग्य, समृद्धि और शुद्ध वातावरण का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि अधिकतर हिंदू घरों में तुलसी का पौधा प्रमुख स्थान पर स्थापित किया जाता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति नित्य तुलसी माता की पूजा करता है, उसे देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

किन नियमों का पालन जरूरी है तुलसी पूजा में
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है, जिससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके:
- तोड़ने का समय: तुलसी के पत्ते एकादशी, रविवार, संक्रांति, ग्रहण काल और सूर्यास्त के बाद नहीं तोड़ने चाहिए।
- नाखून का प्रयोग वर्जित: तुलसी के पत्ते तोड़ते समय नाखून का इस्तेमाल करना वर्जित है। इसे केवल उंगलियों के छोर से तोड़ना चाहिए।
- किन देवताओं को चढ़ाएं तुलसी: भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और हनुमान जी को तुलसी के पत्ते अर्पित करना शुभ माना गया है, लेकिन भगवान शिव और गणेश जी को तुलसी अर्पित नहीं करनी चाहिए।
- तुलसी को नहाकर ही छुएं: बिना स्नान किए तुलसी के पौधे को छूना धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना गया है। ऐसा करने से पौधे की ऊर्जा प्रभावित होती है और व्यक्ति को दोष लगता है।

तुलसी पूजन का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है, जो धन, समृद्धि और सुख का प्रतीक है। कहा जाता है कि जहां तुलसी का वास होता है, वहां नकारात्मक ऊर्जा नहीं टिकती और वातावरण सकारात्मक बना रहता है।
सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी तुलसी अत्यंत लाभकारी है। इसके पत्तों में औषधीय गुण होते हैं, जो सर्दी, खांसी, बुखार जैसी कई बीमारियों में फायदेमंद हैं।
निष्कर्ष:
तुलसी पूजन एक साधारण धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि घर की सुख-शांति, समृद्धि और शुद्धता से जुड़ा एक गहन आध्यात्मिक अभ्यास है। यदि तुलसी पूजा को नियमों के साथ किया जाए, तो यह जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।