रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में विजयादशमी के पावन अवसर पर प्राचीन कंकाली माता मठ में भव्य पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। यह मठ हर साल दशहरे के दिन लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और रहस्य का केंद्र बन जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां कंकाली अपने पूर्ण तेजस्वी स्वरूप में प्रकट होती हैं। मंदिर के पुजारी दूध और दही से माता का अभिषेक करते हैं, और सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार शस्त्रों की विशेष पूजा की जाती है। भक्तों का विश्वास है कि माता की कृपा से संतानहीन दंपत्तियों की गोद भर जाती है।
मठ का रहस्यमय इतिहास
कंकाली माता मठ का इतिहास उतना ही रहस्यमय है जितना इसका आध्यात्मिक महत्व। स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, 13वीं से 17वीं शताब्दी तक यह मठ नागा साधुओं का प्रमुख केंद्र था। ये साधु तांत्रिक साधना के लिए मां कंकाली की आराधना करते थे। 17वीं शताब्दी में इस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। आज भी मठ में हजारों साल पुराने नागा साधुओं के अस्त्र-शस्त्र जैसे तलवार, भाला, फरसा, ढाल और तीर-कमान सुरक्षित रखे गए हैं, जो इसकी ऐतिहासिकता को दर्शाते हैं।

माता के एक दिन के दर्शन की कथा
मठ से जुड़ी एक प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार मां कंकाली संन्यासियों से नाराज होकर मठ छोड़कर चली गई थीं। संन्यासियों ने उन्हें मनाने की बहुत कोशिश की, जिसके बाद माता ने वचन दिया कि वे प्रतिदिन नहीं, बल्कि केवल विजयादशमी के दिन अपने पूर्ण तेजस्वी स्वरूप में यहां विराजेंगी। तभी से परंपरा चली आ रही है कि मंदिर के पट साल में केवल एक दिन, विजयादशमी पर, खोले जाते हैं। इस दिन मठ में भक्तों का मेला लगता है, और माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

विजयादशमी पर विशेष पूजा
विजयादशमी के दिन मठ में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। पुजारी मां कंकाली का दूध और दही से अभिषेक करते हैं, और विशेष हवन व मंत्रोच्चार के साथ पूजा होती है। शस्त्र पूजन की परंपरा भी निभाई जाती है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। मठ में मौजूद प्राचीन हथियारों की पूजा कर भक्त माता से शक्ति और समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं।
आस्था और संस्कृति का संगम
कंकाली माता मठ का यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को भी दर्शाता है। मंदिर में एकत्रित भक्त ‘जय माता दी’ के जयघोष के साथ माता की भक्ति में लीन रहे। स्थानीय प्रशासन ने भी इस अवसर पर सुरक्षा और व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए, ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के दर्शन कर सकें।