कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच कांग्रेस सरकार के अंदरूनी खींचतान को लेकर राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच कथित सत्ता संघर्ष की चर्चाओं के बीच, राज्य मंत्री प्रियांक खड़गे ने हालात को संभालने की कोशिश करते हुए साफ कहा कि पार्टी में किसी तरह का मतभेद नहीं है और आलाकमान का फैसला सभी को स्वीकार होगा।
एएनआई से बातचीत में प्रियांक खड़गे ने कहा—
“मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के हर सदस्य ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आलाकमान जो भी फैसला करेगा, वही होगा। जब शीर्ष नेतृत्व एक सुर में बोल रहा है, तो मतभेद की बात कहाँ से आती है?”
बीजेपी के आरोपों पर प्रियांक खड़गे का पलटवार
विपक्ष के नेता और भाजपा विधायक आर. अशोक ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि “कांग्रेस के विधायक ही मुख्यमंत्री के लिए अपने ही विधायकों को खरीद रहे हैं।”
इस आरोप का जवाब देते हुए प्रियांक खड़गे ने कहा—
“ऑपरेशन लोटस भाजपा की पहचान है। खरीदना-बेचना, किराए पर लेना—यह उनका तरीका है, हमारा नहीं। पाँच साल तक यह लोग एक भी मुख्यमंत्री नहीं चला पाए। पहली बार में तीन CM दिए, दूसरी बार में दो CM दिए।”

बीजेपी का दावा: सरकार भ्रष्ट, चुनाव जरूरी
आर. अशोक ने सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए और कहा कि पिछले दो साल से सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच “कुर्सी की लड़ाई” चल रही है। उनका कहना है कि सत्ता को लेकर तनाव इतना बढ़ चुका है कि “विधायकों की खरीद-फरोख्त” की खबरें सामने आ रही हैं।
बीजेपी का यह भी दावा है कि राज्य में नए चुनाव कराए जाने चाहिए, क्योंकि मौजूदा सरकार “अस्थिर और अविश्वसनीय” हो चुकी है।
कांग्रेस आलाकमान की भूमिका
कर्नाटक कांग्रेस के कई विधायकों के दिल्ली पहुंचने और आलाकमान से मुलाकात के बाद से अटकलें तेज हो गई थीं कि पार्टी नेतृत्व बदलाव पर विचार कर रहा है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर कांग्रेस ने कहा है कि मुख्यमंत्री पद पर अंतिम निर्णय पार्टी हाईकमान करेगा, और सभी नेता उसी निर्णय के साथ खड़े होंगे।
निष्कर्ष
कर्नाटक की सियासत इस वक्त बेहद गर्म है। एक ओर सत्ता संघर्ष और नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएँ हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इसे “भ्रम और अफवाह” बताने में जुटी है।
कुल मिलाकर, कर्नाटक की राजनीति में आने वाले दिनों में और हलचल की पूरी संभावना है, क्योंकि अब सबकी निगाहें कांग्रेस आलाकमान के फैसले पर टिकी हुई हैं।
