नई दिल्ली। एलन मस्क की कंपनी Starlink अब भारत में सैटेलाइट-बेस्ड मोबाइल सेवाएं शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। अब तक हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा के लिए जानी जाने वाली स्टारलिंक, अब जियो और एयरटेल जैसे बड़े टेलीकॉम ब्रांड्स को सीधी टक्कर देने की तैयारी में है।
सूत्रों के अनुसार, स्टारलिंक के डेटा प्लान पारंपरिक मोबाइल सेवाओं से महंगे हो सकते हैं, लेकिन यह सेवा खासतौर पर उन ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में गेम चेंजर साबित हो सकती है, जहाँ आज भी मोबाइल नेटवर्क कमजोर है या पूरी तरह अनुपलब्ध है। शुरुआती चरण में कंपनी प्रमोशनल अनलिमिटेड डेटा प्लान 840 रुपये प्रति माह के हिसाब से पेश कर सकती है।
एक करोड़ यूजर्स जोड़ने का लक्ष्य
स्टारलिंक का उद्देश्य मध्यम से दीर्घकालीन अवधि में लगभग 1 करोड़ ग्राहकों को सेवा से जोड़ना है, जिससे भारत में स्पेक्ट्रम लाइसेंस और संचालन लागत की भरपाई की जा सके।

फिलहाल कंपनी के 7,000 से अधिक सैटेलाइट्स दुनियाभर में 40 लाख से अधिक यूजर्स को सेवा प्रदान कर रहे हैं। रिसर्च रिपोर्टों के अनुसार, यदि 2030 तक सैटेलाइट संख्या बढ़कर 18,000 तक भी हो जाए, तब भी भारत में अनुमानित 15 लाख ग्राहक ही सेवा का लाभ उठा पाएंगे।
ट्राई की सिफारिशें और लाइसेंस चुनौतियां
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने शहरी क्षेत्रों में सैटेलाइट सेवा शुल्क 500 रुपये मासिक तय करने की सिफारिश की है। साथ ही, ट्राई ने सैटेलाइट कंपनियों पर 4% AGR लेवी, प्रति मेगाहर्ट्ज 3,500 रुपये वार्षिक स्पेक्ट्रम शुल्क, और 8% लाइसेंस फीस का प्रस्ताव रखा है। इन सिफारिशों को लागू करने के लिए सरकारी मंजूरी आवश्यक होगी।

विशेषज्ञों की राय
विश्लेषकों का मानना है कि स्टारलिंक के पास भले ही मजबूत वित्तीय समर्थन और तकनीकी बढ़त हो, लेकिन भारत जैसे विशाल और विविध देश में सीमित सैटेलाइट क्षमता के साथ ग्राहक आधार बढ़ाना एक बड़ी चुनौती होगी।
टेलीकॉम सेक्टर में बदलाव की आहट
अगर स्टारलिंक की यह योजना सफल होती है, तो यह भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, खासकर डिजिटल समावेशन और कनेक्टिविटी को लेकर पिछड़े इलाकों में।