नई दिल्ली। बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक बड़ा मोड़ आने वाला है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस हाई-प्रोफाइल मामले की सुनवाई पूरी कर ली है और अब अदालत 29 जुलाई को फैसला सुनाएगी। यह फैसला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीट के आधार पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ समन जारी करने को लेकर होगा। माना जा रहा है कि यह निर्णय कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है।
कहां से शुरू हुआ मामला?
इस केस की शुरुआत वर्ष 2012 में हुई थी, जब तत्कालीन बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अदालत में शिकायत दाखिल की। उन्होंने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियों को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) के माध्यम से धोखाधड़ी से अपने कब्जे में ले लिया। AJL वही कंपनी है जो नेशनल हेराल्ड अखबार का संचालन करती थी।
कांग्रेस पार्टी ने AJL को 90.25 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त ऋण दिया था। वर्ष 2010 में यह ऋण सिर्फ 50 लाख रुपये में YIL को ट्रांसफर कर दिया गया, जिससे AJL की 99% हिस्सेदारी यंग इंडियन के पास चली गई। सोनिया गांधी और राहुल गांधी यंग इंडियन में प्रमुख शेयरधारक हैं।
ईडी के गंभीर आरोप
ईडी का दावा है कि यह पूरा मामला आपराधिक साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य करीब 2,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अवैध रूप से हासिल करना था। एजेंसी ने अप्रैल 2025 में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में चार्जशीट दाखिल की थी।
ईडी के अनुसार, यंग इंडियन और AJL की संपत्तियों का उपयोग 18 करोड़ रुपये की फर्जी दान राशि, 38 करोड़ रुपये के फर्जी किराए, और 29 करोड़ रुपये के फर्जी विज्ञापनों के माध्यम से अवैध कमाई के लिए किया गया। इसके अलावा, ईडी ने 751.9 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच की हैं। जांच एजेंसी का यह भी दावा है कि सोनिया और राहुल गांधी ने 142 करोड़ रुपये की क्राइम इनकम से लाभ उठाया।
कांग्रेस की दलील
वहीं कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में ईडी के आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध बताया। उन्होंने तर्क दिया कि यंग इंडियन एक नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनी है और इस प्रक्रिया में कोई संपत्ति निजी रूप से ट्रांसफर नहीं की गई है।
न्यायाधीश ने की लगातार सुनवाई
इस मामले की सुनवाई 2 जुलाई से 8 जुलाई तक रोजाना विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा, जो अब 29 जुलाई को सार्वजनिक किया जाएगा।
राजनीतिक हलचल तेज
कोर्ट के इस फैसले को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस इसे राजनीतिक षड्यंत्र बता रही है, जबकि बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों की नजरें भी फैसले पर टिकी हैं।