नई दिल्ली:
राजधानी दिल्ली में व्यापार खोलना और चलाना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को घोषणा की कि अब भोजनालयों, डिस्कोथेक, मनोरंजन पार्क समेत 7 प्रकार के व्यवसायों को दिल्ली पुलिस से लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इस निर्णय को उन्होंने “ऐतिहासिक लोक-कल्याणकारी आदेश” बताया है।
मुख्य बातें:
- अब इन व्यवसायों को दिल्ली पुलिस से ऑपरेशनल लाइसेंस नहीं लेना होगा।
- व्यापार के संचालन के लिए एमसीडी, एनडीएमसी और दिल्ली छावनी बोर्ड से मंजूरी पर्याप्त होगी।
- यह फैसला लालफीताशाही में कटौती और व्यापार में सुगमता के लिए लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला 40 साल से लंबित मांग को पूरा करता है और इससे लगभग 25,000 प्रतिष्ठानों और उनसे जुड़े 10 से 20 लाख लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि दोहरी लाइसेंसिंग प्रणाली से अक्सर भ्रम की स्थिति बनी रहती थी।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का बयान:
“अब हम पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए एकल खिड़की प्रणाली (Single Window System) की ओर बढ़ रहे हैं। यह दोहरी इंजन वाली सरकार का फायदा है जो जनता तक पहुंच रहा है।”
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि व्यवसायों से पुलिस लाइसेंसिंग की जिम्मेदारी हटाए जाने से अब दिल्ली पुलिस अपने मूल दायित्वों जैसे अपराध नियंत्रण, महिला सुरक्षा और कानून-व्यवस्था पर बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित कर सकेगी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हवाले से रेखा गुप्ता ने कहा कि “पुलिस पर गैर-मुख्य कार्यों का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए।” यह कदम भी उसी दिशा में एक सुधारात्मक प्रयास है, क्योंकि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आती है।
व्यापारिक संगठनों की प्रतिक्रिया:
दिल्ली के व्यापारिक समुदाय ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि इससे न सिर्फ समय की बचत होगी बल्कि रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।
निष्कर्ष:
यह कदम ‘Ease of Doing Business’ की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है, जिससे दिल्ली में निवेश को बढ़ावा मिलेगा और छोटे व्यापारियों को सबसे अधिक लाभ पहुंचेगा। सरकार का लक्ष्य है कि बिजनेस परमिट प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त बनाया जाए।