नई दिल्ली/लंदन: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपी और हीरा व्यापारी नीरव मोदी की एक और जमानत याचिका लंदन हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई है। कोर्ट का यह फैसला ब्रिटेन में चल रही कानूनी प्रक्रिया के तहत आया है, जहां नीरव मोदी 2019 से जेल में बंद है। भारत सरकार द्वारा की जा रही प्रत्यर्पण की कोशिशों के बीच यह घटनाक्रम एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।
लंदन हाईकोर्ट के किंग्स बेंच डिवीजन ने इस मामले की सुनवाई करते हुए नीरव दीपक मोदी की नई जमानत याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। सीबीआई ने इस याचिका का पुरज़ोर विरोध किया, जिसमें उसे क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस के अधिवक्ताओं का भी समर्थन मिला। विशेष रूप से गठित सीबीआई टीम इस सुनवाई के लिए लंदन पहुंची थी, जिसने ब्रिटिश अधिकारियों के साथ समन्वय में मजबूत पक्ष रखा।
नीरव मोदी पर 6,498.20 करोड़ रुपये के PNB घोटाले का आरोप है। घोटाले की शुरुआत 2018 में हुई थी, जब यह सामने आया कि नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी ने भारतीय बैंकों को फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) के ज़रिए भारी धोखाधड़ी की। घोटाले के सामने आने से पहले ही नीरव मोदी देश छोड़कर भाग गया था और तब से वह ब्रिटेन में बंद है।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सीबीआई ने संयुक्त रूप से मामले की जांच की और कई स्थानों पर छापेमारी करते हुए हीरे, सोना, मोती और कीमती पत्थरों सहित बड़ी मात्रा में संपत्तियां जब्त कीं। नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत भी केस दर्ज किया गया है।
भारत सरकार लगातार नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटिश सरकार के साथ संपर्क में है और कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के प्रयास जारी हैं। लंदन हाईकोर्ट का यह फैसला भारत के पक्ष को मजबूती प्रदान करता है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में नीरव मोदी को भारत लाकर न्याय के कटघरे में खड़ा किया जा सकेगा।
यह मामला भारत के बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, जिसने देश में बैंकिंग प्रणाली की पारदर्शिता और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि ब्रिटेन की अदालतें प्रत्यर्पण पर कब अंतिम फैसला देती हैं।