काठमांडू। नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध को लेकर शुरू हुए युवा प्रदर्शन अब भयानक हिंसा में बदल गए हैं। राजधानी काठमांडू समेत कई हिस्सों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जिनमें अब तक कम से कम 22 लोग मारे गए और 400 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
सोशल मीडिया प्रतिबंध वापस
तीन दिन पहले नेपाल सरकार ने फेसबुक, एक्स (पूर्व ट्विटर), व्हाट्सएप समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया था। इसके विरोध में देशभर के युवा सड़कों पर उतरे। विरोध तेज होते देख सरकार ने सोमवार (8 सितंबर) को प्रतिबंध हटा लिया। संचार, सूचना और प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कैबिनेट की आपात बैठक के बाद बताया कि सोशल मीडिया सेवाएं जनता की मांग के अनुसार बहाल की जाएंगी।
संसद में आगजनी
सोमवार को प्रदर्शन और हिंसा चरम पर पहुंच गई जब एक समूह प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर में घुस गया और आग लगा दी। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार, आंसू गैस और गोलियों का इस्तेमाल किया।
सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन भी निशाने पर
प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में भी घुसकर आग लगा दी, जिससे इमारत पूरी तरह जलकर खाक हो गई। इसके अलावा, राष्ट्रपति भवन और पीएम ओली के निजी आवास में भी तोड़फोड़ और आगजनी की गई।
प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा
इस उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। माना जा रहा है कि जनता के आक्रोश और राजनीतिक दबाव के चलते उन्होंने यह कदम उठाया। रिपोर्ट्स के अनुसार, ओली ने देश छोड़ दिया और वे दुबई जा सकते हैं, हालांकि इसकी अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता
इन घटनाओं के बाद नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति बन गई है। विरोध प्रदर्शन और हिंसा की वजह से जनता और सरकार के बीच बढ़ती खाई, देश को एक बड़े संकट की ओर धकेल रही है।