सिंगापुर। पांच साल पहले पूरी दुनिया को झकझोर देने वाला कोरोना वायरस एक बार फिर चर्चा में है। इस बार इसका असर दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में देखा जा रहा है। सिंगापुर, हांगकांग और बैंकॉक जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में कोविड-19 के मामलों में तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है।
सिंगापुर में नए वेरिएंट्स LF.7 और NB.1 की दस्तक
सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मई के पहले सप्ताह में 14,200 से अधिक कोरोना के नए मामले सामने आए हैं। यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में करीब 28% अधिक है। इस बढ़ोतरी के लिए LF.7 और NB.1 वेरिएंट्स को जिम्मेदार माना जा रहा है, जो पहले के JN.1 स्ट्रेन से जुड़े हैं।

इन वेरिएंट्स के लक्षण आम सर्दी-जुकाम जैसे हैं नाक बहना, गले में दर्द और हल्का बुखार। अच्छी बात यह है कि इन वेरिएंट्स की गंभीरता अभी तक कम ही देखी जा रही है।
अस्पतालों पर दबाव, लेकिन स्थिति अभी नियंत्रण में
सिंगापुर में अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या 102 से बढ़कर 133 हो गई है। हालांकि, गंभीर मरीजों की संख्या में फिलहाल कोई बड़ा उछाल नहीं दिखा है, लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव बढ़ता नजर आ रहा है।
थाईलैंड और चीन में भी बढ़े संक्रमण के मामले
थाईलैंड में हाल ही में मनाए गए सोंगक्रान उत्सव के बाद कोविड-19 के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं चीन में भी संक्रमण के मामले पिछली गर्मियों के उच्च स्तर के करीब पहुंच रहे हैं।

भारत में कोरोना नियंत्रण में, लेकिन सतर्कता जरूरी
भारत में फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। स्वास्थ्य मंत्रालय के COVID-19 डैशबोर्ड के अनुसार देश में सिर्फ 93 सक्रिय मामले हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि लापरवाही नुकसानदेह हो सकती है और यह समय पूरी सतर्कता बरतने का है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह:
- भीड़भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनें
- नियमित रूप से हाथ धोते रहें
- बुखार या जुकाम जैसे लक्षण दिखें तो डॉक्टर से सलाह लें
- वैक्सीनेशन अपडेट रखें