फोर्टिफाइड चावल से जुड़े मिथकों को दूर करने पर दिया गया विशेष जोर
रायपुर, 21 नवम्बर 2025।
राज्य शासन कुपोषण से लड़ने और छत्तीसगढ़ में फोर्टिफाइड चावल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। इसी उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) एवं समाज कल्याण फाउंडेशन के सहयोग से मेफेयर लेक रिज़ॉर्ट, रायपुर में चावल फोर्टिफिकेशन पर राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। यह कार्यक्रम ‘पोषण प्रथम’ जागरूकता अभियान के अंतर्गत आयोजित किया गया।
कार्यशाला का उद्घाटन खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की सचिव श्रीमती रीना बाबासाहेब कंगाले ने किया। विभाग की निदेशक डॉ. फरिहा आलम ने बताया कि नवंबर 2020 से WFP की तकनीकी सहायता से राज्य में चावल फोर्टिफिकेशन पर कार्य किया जा रहा है और अब इसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। आमजन फोर्टिफाइड चावल के उपयोग के महत्व को समझ रहे हैं।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डॉ. शुभा बनर्जी ने ‘क्या, क्यों, कहाँ, कैसे और कब’ के आधार पर चावल फोर्टिफिकेशन पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि ग्रामीण महिलाओं में एनीमिया की उच्च दर अपर्याप्त पोषण का परिणाम है। फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति और खपत, एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम की प्रमुख रणनीतियों में शामिल है और इससे एनीमिया में कमी आई है।
विश्व खाद्य कार्यक्रम के सीनियर प्रोग्राम एसोसिएट श्री अरुणांशु गुहाठकुरता ने छत्तीसगढ़ में फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम के विकास, तकनीकी सहायता इकाई की स्थापना और राज्य में चल रहे जागरूकता अभियानों की जानकारी साझा की।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के उप संचालक एवं बाल स्वास्थ्य नोडल अधिकारी डॉ. वी.आर. भगत ने बताया कि विभाग का मुख्य फोकस आयरन-फोलिक एसिड (IFA) सप्लीमेंटेशन पर है। खाद्य विभाग द्वारा फोर्टिफाइड चावल की पहल एनीमिया कम करने में प्रभावी सिद्ध हुई है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला के बाद प्रतिभागियों की जिम्मेदारी होगी कि वे सीखी हुई जानकारियों को समुदाय स्तर तक पहुँचाएँ।
कार्यशाला में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम की प्रमुख डॉ. सारिका यूनुस ने विभिन्न राज्यों के सफल केस स्टडी प्रस्तुत किए। साथ ही विषय-विशेषज्ञों की पैनल चर्चा में फोर्टिफाइड चावल से जुड़े मिथकों और भ्रांतियों पर विस्तृत विमर्श हुआ।
