रायपुर: छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध हास्य कवि और पद्मश्री सम्मानित स्व. डॉ. सुरेंद्र दुबे की जयंती पर उनकी अंतिम कृति ‘मैं छत्तीसगढ़ बोलता हूं’ का विमोचन राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किया। इस विशेष अवसर पर आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री ने स्व. दुबे को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनकी कविताओं ने छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई।
स्व. सुरेंद्र दुबे का योगदान और छत्तीसगढ़ का गौरव
मुख्यमंत्री साय ने अपने संबोधन में स्व. सुरेंद्र दुबे की कविताओं की सराहना करते हुए कहा, “स्व. सुरेंद्र दुबे एक ऐसे कवि थे जिन्होंने अपनी रचनाओं से न केवल छत्तीसगढ़ी भाषा को सम्मानित किया, बल्कि सामाजिक मुद्दों को हास्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। उनकी कविताओं में हर पंक्ति एक संदेश छिपा होता था, जो न केवल हंसी पैदा करता था बल्कि सोचने पर मजबूर भी करता था।” उन्होंने यह भी कहा, “हालांकि वे अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी रचनाएं और उनकी यादें हमेशा जीवित रहेंगी। उनकी कविताओं में समाज और देश के प्रति गहरी संवेदनाएं समाहित थीं।”
‘मैं छत्तीसगढ़ बोलता हूं’ पुस्तक का विमोचन
स्व. सुरेंद्र दुबे की अंतिम कृति ‘मैं छत्तीसगढ़ बोलता हूं’ में उनकी चुनिंदा कविताएं संकलित हैं। यह पुस्तक छत्तीसगढ़ी भाषा, संस्कृति और समाज के महत्व को उजागर करती है। मुख्यमंत्री साय ने इस पुस्तक को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और साहित्यिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए कहा, “यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों को छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं और स्व. दुबे के योगदान को समझने में मदद करेगी।”
सरकार की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हम स्व. दुबे के योगदान को सम्मानित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।” इस बयान ने छत्तीसगढ़ी साहित्य और कला को प्रोत्साहन देने के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाया।
समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्तित्व
इस विशेष विमोचन समारोह में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, मंत्री लखन लाल देवांगन, सांसद विजय बघेल, पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा, विधायक गुरु खुशवंत साहेब और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। समारोह में उपस्थित सभी ने स्व. सुरेंद्र दुबे की रचनाओं और उनके हास्य के अनूठे अंदाज की सराहना की।
छत्तीसगढ़ी भाषा का गौरव और विरासत
स्व. सुरेंद्र दुबे ने अपनी हास्य कविताओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ी भाषा को न केवल लोकप्रिय बनाया, बल्कि इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहचान दिलाई। उनकी कविताएं सामाजिक मुद्दों, संस्कृति और मानवीय मूल्यों को हल्के-फुल्के अंदाज में प्रस्तुत करती थीं, जिससे हर वर्ग के लोग प्रभावित होते थे। ‘मैं छत्तीसगढ़ बोलता हूं’ इस विरासत को संजोने और अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।