नई दिल्ली : एक दौर में वीडियो कॉलिंग की दुनिया में सबसे बड़ा नाम रहा Skype अब इतिहास बनने जा रहा है। Microsoft ने घोषणा की है कि वह मई 2025 से इस लोकप्रिय सेवा को पूरी तरह से बंद कर देगा। यह फैसला Microsoft Teams को प्राथमिकता देने की रणनीति के तहत लिया गया है। आइए जानते हैं Skype की इस विदाई के पीछे की प्रमुख वजहें और इसका असर यूज़र्स पर क्या होगा।

Microsoft Teams बना Skype के बंद होने की मुख्य वजह
Microsoft ने सभी कम्युनिकेशन टूल्स को एकीकृत करते हुए Skype को Teams में मर्ज करने का निर्णय लिया है। कंपनी का कहना है कि Teams आज की जरूरतों के हिसाब से ज्यादा एडवांस्ड और फंक्शनल है। Skype की सुविधाएं अब Teams के भीतर समाहित की जाएंगी।

Skype यूज़र्स के लिए आखिरी तारीख
Microsoft ने यूज़र्स को अपनी डेटा और कॉन्टैक्ट जानकारी सुरक्षित करने का मौका देते हुए Skype को 5 मई 2025 तक चालू रखने की घोषणा की है। इस दौरान यूज़र्स Teams पर शिफ्ट हो सकेंगे और अपनी जानकारी माइग्रेट कर पाएंगे। कंपनी का दावा है कि यह प्रक्रिया आसान और यूज़र-फ्रेंडली होगी।
पेड यूज़र्स का क्या होगा?
Microsoft ने पहले ही Skype के नए पेड सब्सक्रिप्शन बंद कर दिए हैं। मौजूदा पेड यूज़र्स अपनी सेवाएं तब तक इस्तेमाल कर सकते हैं जब तक उनकी वैधता समाप्त नहीं हो जाती। बचा हुआ Skype क्रेडिट Microsoft Teams या अन्य Microsoft सेवाओं में इस्तेमाल किया जा सकेगा, लेकिन सेवा बंद होने के बाद यह बेकार हो जाएगा।

Teams पर माइग्रेशन होगा बेहद आसान
यूज़र्स Skype के मौजूदा लॉगिन से ही Teams में लॉग इन कर सकेंगे। साथ ही उनके सभी चैट्स, कॉन्टैक्ट्स और मीडिया फाइल्स भी Teams में स्वतः ट्रांसफर हो जाएंगी। Teams में Skype जैसे फीचर्स के साथ ही अतिरिक्त सुविधाएं जैसे कैलेंडर इंटीग्रेशन, फाइल शेयरिंग और प्रोफेशनल कम्युनिकेशन टूल्स भी मौजूद हैं।
Skype का सफर: 2003 से 2025 तक
Skype को 2003 में लॉन्च किया गया था और यह आम लोगों के लिए वीडियो कॉलिंग का पर्याय बन गया था। 2011 में Microsoft ने इसे अधिग्रहित किया और इसमें लगातार सुधार किए। हालांकि, Zoom, Google Meet और WhatsApp जैसे नए टूल्स के आगमन से Skype की लोकप्रियता धीरे-धीरे कम होती गई। अब Microsoft ने Teams को Skype का आधिकारिक उत्तराधिकारी बना दिया है।
