Sawan Shivling Puja: सावन का महीना आते ही भगवान शिव की आराधना पूरे देश में विशेष रूप से होने लगती है। इस माह में शिवलिंग पर जल अर्पित करना और बेलपत्र चढ़ाना विशेष फलदायक माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बेलपत्र भगवान शिव को इतना प्रिय क्यों है? आखिर क्या कारण है कि शिव की पूजा बेलपत्र के बिना अधूरी मानी जाती है? आइए जानते हैं इसके पीछे छिपी पौराणिक मान्यताएं, धार्मिक विश्वास और वैज्ञानिक तथ्य।

शिव और बेलपत्र: पौराणिक कथाएं
बेलपत्र को शिव के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसके पीछे दो प्रमुख पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं:
- समुद्र मंथन और कालकूट विष की कथा
जब समुद्र मंथन हुआ, तब उसमें से निकले कालकूट विष को भगवान शिव ने संसार की रक्षा हेतु अपने कंठ में धारण किया। विष के प्रभाव से शिव का शरीर जलने लगा। तब देवताओं ने शिवलिंग पर जल के साथ बेलपत्र अर्पित किया, जिससे उन्हें शीतलता मिली। तभी से शिव को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। - पार्वती की तपस्या और शिव की कृपा
एक अन्य कथा के अनुसार माता पार्वती ने घोर तपस्या के दौरान बेल के पत्ते चढ़ाकर शिव को प्रसन्न किया था। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। तभी से बेलपत्र को शिव के प्रति विशेष भक्ति का प्रतीक माना गया।

धार्मिक मान्यताएं और पुराणों में उल्लेख
- स्कंद पुराण के अनुसार बेल का पेड़ माता पार्वती के स्वेद (पसीने) से उत्पन्न हुआ, जिससे यह पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है।
- शिव पुराण में वर्णन है कि बेलपत्र के दर्शन, स्पर्श और शिव को अर्पण करने से पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- बेलपत्र की त्रिपत्री (तीन पत्तियां) को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है, इसलिए यह त्रिदेवों का प्रतिनिधित्व करता है।
- इसे शिव के त्रिनेत्र और तीन गुणों (सत्व, रज, तम) से भी जोड़ा जाता है।
आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक लाभ
बेलपत्र में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं:
- इसमें एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं।
- यह शरीर को शीतलता प्रदान करता है और गर्मी से राहत देता है।
- बेल का फल पाचन में सहायक होता है और पेट की गर्मी को कम करता है।
इसी वजह से जब शिव ने विष पिया था, तो बेलपत्र अर्पण कर उनके शरीर को ठंडक दी गई थी। आयुर्वेद के अनुसार भी यह अत्यंत लाभकारी माना गया है।

सावन में बेलपत्र का महत्व क्यों बढ़ जाता है
हालांकि बेलपत्र सालभर शिव की पूजा में उपयोग किया जाता है, लेकिन सावन में इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। माना जाता है कि सावन में बेलपत्र चढ़ाने से अक्षय पुण्य, सौभाग्य, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह समय शिव की आराधना का सबसे श्रेष्ठ काल होता है।