रायपुर। सदियों पुरानी खारुन नदी के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को बचाने के लिए छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने बड़ा आंदोलन छेड़ दिया है। नदी के लगातार होते प्रदूषण, जल दोहन और पर्यावरणीय संकट के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए संगठन ने 1 जून 2025 से सोमनाथ संगम से पदयात्रा का ऐलान किया है, जो 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर रायपुर के हटकेश्वर महादेव घाट में जलार्पण और जनसभा के साथ समाप्त होगी।
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय यादव ने इस आंदोलन को “हमारे अस्तित्व की लड़ाई” करार देते हुए सभी प्रदेशवासियों से पदयात्रा में शामिल होने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि खारुन नदी का इतिहास केवल एक जलस्रोत का नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ी सभ्यता और संस्कृति की धरोहर का है, जिसे आज उद्योगों के लालच और सरकारी उपेक्षा ने मौत के कगार पर पहुंचा दिया है।
बदहाल है खारुन की हालत
पुरातात्विक स्थलों तरीघाट, कौही, ठकुराइन टोला की खुदाई से स्पष्ट होता है कि खारुन नदी सभ्यता की जननी रही है। कभी जिस नदी का पानी लोग पीते थे, आज वह औद्योगिक अपशिष्ट और शहरी गंदगी से बदबूदार और जहरीली हो चुकी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते दो दशकों में नदी में निस्तारी लायक पानी भी नहीं बचा।
स्थानीय लोगों का गुस्सा
नदी क्षेत्र के निवासी और संगठन के वरिष्ठ नेता गिरधर साहू ने चेतावनी दी है कि नदी में सबसे पहला अधिकार किसानों और ग्रामवासियों का है। उन्होंने उद्योगपतियों द्वारा नदी से अत्यधिक जल दोहन और हजारों फुट गहराई तक पंपिंग के जरिए पानी खींचे जाने पर नाराजगी जताई। उनका आरोप है कि इस वजह से आसपास के जिलों में भूजल स्तर खतरनाक रूप से नीचे चला गया है।
लगातार जारी है संघर्ष
सुंगेरा गांव और आसपास के ग्रामीण पिछले दो वर्षों से खारुन नदी बचाओ आंदोलन में सक्रिय हैं और अब पदयात्रा के माध्यम से इसे व्यापक जनांदोलन का रूप दिया जा रहा है। यात्रा के दौरान नदी किनारे बसे गांवों में पर्यावरण जागरूकता के लिए नुक्कड़ सभाएं आयोजित की जाएंगी।
भाजपा सरकार को चेतावनी
संगठन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन वर्तमान भाजपा सरकार की आत्मघाती जल नीति के खिलाफ चेतावनी है। पदयात्रा के माध्यम से सरकार को बताया जाएगा कि अगर उसने अपनी नीतियों में परिवर्तन नहीं किया और खारुन नदी सहित अन्य जलस्रोतों को सुरक्षित रखने के उपाय नहीं किए, तो भविष्य में उग्र लोकतांत्रिक विरोध के लिए तैयार रहे।
उद्योगों को विधिसम्मत जल, लेकिन खारुन दाई भी जिंदा रहे
डॉ. अजय यादव ने स्पष्ट किया कि संगठन उद्योगों को नियमबद्ध जल आपूर्ति का विरोध नहीं करता, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि खारुन नदी और उसके किनारे बसे लोगों का जीवन भी सुरक्षित रहे।
विशेष तिथियां:
- पदयात्रा आरंभ: 01 जून 2025, सोमनाथ संगम से
- पदयात्रा समापन व सभा: 05 जून 2025, हटकेश्वर महादेव घाट, रायपुर (विश्व पर्यावरण दिवस)
संदेश स्पष्ट है:
“खारुन दाई बचेगी, तो छत्तीसगढ़ बचेगा!”