मखाने की आधुनिक खेती किसानों और महिला स्व-सहायता समूहों के लिए आय बढ़ाने का नया मार्ग बन चुकी है। यह पहल न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी समाज को नई दिशा देने वाली है। प्रशासन का उद्देश्य है कि आने वाले वर्षों में मखाना खेती को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित किया जाए, ताकि यह धान का बेहतर विकल्प बन सके।
धमतरी में मखाना, जिसे काला हीरा भी कहा जाता है, स्वास्थ्यवर्धक और पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण किसानों और महिला समूहों के जीवन में नई उम्मीदें जगा रहा है। जिला प्रशासन ने इसे प्राथमिकता देते हुए धान की खेती के विकल्प के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है, ताकि किसानों की आमदनी दोगुनी हो सके और ग्रामीण आजीविका मजबूत हो।
कुरूद विकासखंड के ग्राम राखी, दरगहन और सरसोंपुरी में पायलट प्रोजेक्ट के तहत लगभग 20 हेक्टेयर तालाबों में मखाने की खेती की जा रही है। राखी गांव में करीब 5 हेक्टेयर क्षेत्र की फसल अब कटाई के चरण में है। इस फसल में विशेष दक्षता की आवश्यकता होती है, इसलिए कटाई-छंटाई प्रशिक्षित मजदूरों की मदद से की जा रही है।

मखाना स्वास्थ्य के लिहाज से भी अमूल्य है। इसमें विटामिन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह डायबिटीज और हृदय रोगियों के लिए उपयोगी है, हड्डियों और जोड़ों के दर्द में राहत देता है, नींद और तनाव मुक्ति में मदद करता है और प्रोटीन व फास्फोरस से भरपूर होने के कारण शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
इस पहल से गांवों में उत्साह का वातावरण बना है। खासकर महिला स्व-सहायता समूहों की भागीदारी उल्लेखनीय है। ग्राम देमार की शैलपुत्री महिला समूह और नई किरण महिला समूह ने मखाने की खेती और प्रसंस्करण का प्रशिक्षण लेकर इसे आजीविका का साधन बनाया है। महिलाओं की यह भागीदारी उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही है और पूरे परिवार की जीवनशैली में सुधार ला रही है।
तकनीकी मार्गदर्शन के लिए कृषि विस्तार अधिकारी और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के विशेषज्ञ लगातार किसानों के साथ जुड़े हुए हैं। तालाबों में केवल 2–3 फीट पानी में यह फसल लगभग 6 महीने में कटाई योग्य हो जाती है।
लाभ के दृष्टिकोण से मखाना धान से कहीं अधिक फायदेमंद है। धान की औसत आय 32,698 रुपये आती है, जबकि मखाने की खेती से किसानों को लगभग 64,000 रुपये तक की आमदनी हो रही है। अगले रबी सीजन में जिला प्रशासन ने 200 एकड़ तालाबों में मखाने की खेती विस्तार का लक्ष्य निर्धारित किया है।