लता मंगेशकर: स्वर कोकिला की जीवनी
नाम: लता मंगेशकर
जन्म: 28 सितंबर 1929, इंदौर, मध्य प्रदेश, भारत
मृत्यु: 6 फरवरी 2022, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
पिता: दीनानाथ मंगेशकर
माता: शेवंती मंगेशकर
भाई-बहन: आशा भोसले, हृदयनाथ मंगेशकर, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर
उपाधि: स्वर कोकिला, भारत रत्न
कार्यकाल: 1942 – 2022
प्रारंभिक जीवन
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक और रंगमंच कलाकार थे। उन्होंने छोटी उम्र से ही संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। मात्र 5 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने पिता के थिएटर में अभिनय करना शुरू कर दिया था।
लेकिन 1942 में जब उनके पिता का निधन हुआ, तब मात्र 13 साल की उम्र में लता जी को परिवार की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी। इसके बाद उन्होंने गायन को अपना करियर बनाया।
संगीत करियर की शुरुआत
लता मंगेशकर ने 1942 में “किटी हसाल” नामक मराठी फिल्म में पहला गीत गाया था, लेकिन यह गीत फिल्म से हटा दिया गया। 1945 में वे मुंबई आईं, जहां उनकी मुलाकात संगीतकार गुलाम हैदर से हुई। उन्होंने लता जी को पहला बड़ा ब्रेक दिया और 1948 में फिल्म “मजबूर” में उनका पहला हिंदी गाना आया – “दिल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का न छोड़ा”।
लेकिन असली पहचान उन्हें 1949 में “महल” फिल्म के गाने “आएगा आने वाला” से मिली, जो बेहद लोकप्रिय हुआ। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
संगीत करियर और उपलब्धियां
लता मंगेशकर ने 36 से अधिक भाषाओं में 30,000 से ज्यादा गाने गाए हैं। उनका करियर 8 दशकों तक चला, जिसमें उन्होंने भारतीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
प्रसिद्ध गीत:
- आएगा आने वाला (महल, 1949)
- प्यार किया तो डरना क्या (मुगल-ए-आज़म, 1960)
- लग जा गले (वो कौन थी, 1964)
- अजी रूठ कर अब कहां जाइएगा (आरज़ू, 1965)
- ए मेरे वतन के लोगों (1963, देशभक्ति गीत)
- तुझे देखा तो ये जाना सनम (दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, 1995)
उन्होंने लगभग हर बड़े संगीतकार और गायक के साथ काम किया, जिनमें रफी, किशोर कुमार, मुकेश, मन्ना डे, कुमार सानू, उदित नारायण आदि शामिल हैं।
पुरस्कार और सम्मान
लता मंगेशकर को भारतीय संगीत में अमूल्य योगदान के लिए कई सम्मान मिले:
- भारत रत्न (2001) – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
- दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (1989)
- राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (तीन बार)
- पद्म भूषण (1969) और पद्म विभूषण (1999)
- फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
- महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार
- बेस्ट प्लेबैक सिंगर के लिए कई फिल्मफेयर अवॉर्ड्स
देशभक्ति गीत और विशेष योगदान
1963 में, जब भारत-चीन युद्ध हुआ था, तब लता जी ने “ए मेरे वतन के लोगों” गाना गाया था, जिसे सुनकर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी भावुक हो गए थे। यह गाना आज भी देशभक्ति की मिसाल है।
निजी जीवन और सादगी
लता मंगेशकर ने कभी शादी नहीं की। उनका जीवन पूरी तरह से संगीत को समर्पित था। वे बहुत धार्मिक थीं और सादगी से जीवन व्यतीत करती थीं। उन्हें क्रिकेट देखने का भी शौक था और वे सचिन तेंदुलकर की बड़ी प्रशंसक थीं।
अंतिम दिन और निधन
लता मंगेशकर 6 फरवरी 2022 को 92 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गईं। वे कोविड-19 से संक्रमित हो गई थीं, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई और मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से पूरा देश शोक में डूब गया और भारत में राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया।
निष्कर्ष
लता मंगेशकर सिर्फ एक गायिका नहीं बल्कि संगीत की जीवंत आत्मा थीं। उनके गाने पीढ़ियों तक लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ते रहेंगे। वे हमेशा भारतीय संगीत का एक अभिन्न हिस्सा बनी रहेंगी।
“स्वर कोकिला” लता मंगेशकर को दुनिया हमेशा याद रखेगी!