देहरादून। उत्तराखंड में विकास की रफ्तार लगातार तेज हो रही है और इसका बेहतरीन उदाहरण है 125.20 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना, जो राज्य की जीवनरेखा बनने की ओर अग्रसर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की ताजा तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए निर्माण कार्य की प्रगति की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आधुनिक मशीनों की मदद से तेज गति से आगे बढ़ रही है, और यह गढ़वाल मंडल के पांच जिलों को जोड़ते हुए न केवल यातायात सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी, बल्कि स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति में भी अभूतपूर्व सुधार लाएगी।

12 स्टेशन, 28 सुरंगें – पहाड़ों के बीच बन रहा तकनीकी चमत्कार
इस रेल लाइन के अंतर्गत कुल 12 स्टेशनों का निर्माण प्रस्तावित है, जबकि 105 किलोमीटर लंबी 16 मुख्य सुरंगें और 98 किलोमीटर लंबी 12 एस्केप सुरंगें भी बनाई जा रही हैं। पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन (लैंडस्लाइड) के खतरे को देखते हुए अधिकतर ट्रैक सुरंगों से होकर गुजरेगा, जिससे यह लाइन एक ऑल-वेदर ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप में विकसित होगी।
चारधाम यात्रा और चीन सीमा तक पहुंच होगी आसान
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के पूरा होने के बाद चारधाम यात्रा विशेष रूप से केदारनाथ यात्रा बेहद सरल और सुलभ हो जाएगी। वहीं, यह रेल नेटवर्क चीन सीमा तक सुगम आवाजाही में भी सहायक होगा, जिससे इस प्रोजेक्ट को रणनीतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

स्थानीय जीवन और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
परियोजना न केवल उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ेगी, बल्कि इसके जरिए स्थानीय लोगों को नए रोजगार के अवसर, बेहतर कनेक्टिविटी और पर्यटन के नए आयाम भी मिलेंगे। इससे पहाड़ों की आर्थिकी को मजबूती मिलेगी और गांवों में विकास की नई लहर दौड़ेगी।
मुख्यमंत्री धामी ने आश्वस्त किया कि यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड के लिए सपनों को हकीकत में बदलने वाला कदम साबित होगा और आने वाले वर्षों में इसका लाभ जन-जन तक पहुंचेगा।