प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को घाना गणराज्य की संसद को संबोधित करते हुए लोकतंत्र, साझी विरासत और वैश्विक चुनौतियों पर भारत का दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोकतंत्र हमारे लिए केवल एक व्यवस्था नहीं, बल्कि एक संस्कार है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत लोकतंत्र की जननी है। हमारे यहां 2,500 से अधिक राजनीतिक दल हैं, 22 आधिकारिक भाषाएं और हजारों बोलियाँ हैं। यह विविधता हमारी ताकत है, यही भारत की आत्मा है।”
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने घाना की लोकतांत्रिक परंपराओं की सराहना करते हुए कहा कि इस भूमि ने लोकतंत्र की भावना को विश्वभर में प्रसारित किया है। उन्होंने घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा से राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने को गर्व और सम्मान की बात बताया।
प्रधानमंत्री ने डॉ. क्वामे नक्रूमा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “उन्होंने कहा था कि हमें एकजुट करने वाली ताकतें, उन प्रभावों से कहीं अधिक बड़ी हैं जो हमें अलग करते हैं। यह विचार आज भी हमारी साझा यात्रा का मार्गदर्शन करता है।”
उन्होंने कहा कि भारत और घाना दोनों ने उपनिवेशवाद का दौर देखा है, लेकिन हमारी आत्मा हमेशा स्वतंत्र रही है। “हमारी दोस्ती घाना के प्रसिद्ध शुगर लोफ अनानास से भी अधिक मीठी है,” प्रधानमंत्री ने भावुक अंदाज में कहा।
मोदी ने वैश्विक चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और साइबर सुरक्षा जैसे संकटों से निपटने के लिए वर्तमान वैश्विक संस्थानों में बदलाव जरूरी है। उन्होंने वैश्विक दक्षिण को ज्यादा आवाज़ देने की जरूरत पर भी ज़ोर दिया।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत को गर्व है कि उसके अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान अफ्रीकी संघ को G-20 का स्थायी सदस्य बनाया गया।
अपने भाषण के अंत में प्रधानमंत्री ने भारत और घाना के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ करने की प्रतिबद्धता जताई और दोनों देशों के साझा लोकतांत्रिक मूल्यों को रेखांकित किया।