महाराष्ट्र की सियासत में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दोनों गुटों के संभावित विलय की अटकलों ने हलचल मचा दी है। अजित पवार गुट के सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल जैसे दिग्गज नेताओं ने विलय की चर्चाओं पर आपत्ति जताते हुए सत्ता के बंटवारे और प्रमुख पदों को लेकर अपनी चिंताएँ जताई हैं।
विलय की चर्चाओं पर क्या बोले नेता?
सुनील तटकरे ने साफ शब्दों में कहा कि—
“अभी तक हमें कोई आधिकारिक प्रस्ताव नहीं मिला है। विलय की खबरें महज मीडिया की अटकलें हैं।”
इसी तरह एनसीपी (एसपी) के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख ने भी कहा कि पार्टी में इस पर कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है।
क्यों बढ़ी टकराव की आशंका?
सूत्रों के मुताबिक, अगर विलय होता है तो प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले के बीच केंद्रीय मंत्री पदों के लिए खींचतान हो सकती है। साथ ही जयंत पाटिल को मंत्री पद मिलेगा या वे राज्य अध्यक्ष बने रहेंगे, इसे लेकर भी असमंजस की स्थिति है।
शरद पवार ने भी अपने गुट में विभाजन को स्वीकार किया था, जिसमें एक हिस्सा विलय के पक्ष में है, जबकि दूसरा गुट दक्षिणपंथी ताकतों के खिलाफ खड़ा रहने की बात कर रहा है।
भाजपा और महायुति गठबंधन पर असर
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में शरद पवार की दृढ़ता और कार्य नैतिकता की तारीफ की, जिससे भाजपा के रुख में नरमी के संकेत मिले हैं। हालांकि, भाजपा विधायकों और मंत्रियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराईं।
भाजपा नेताओं को इस बात की भी चिंता है कि अजित पवार गुट पुणे, सांगली, पिंपरी-चिंचवाड़, परभणी, जालना और बीड जैसे भाजपा-शासित निकायों पर धीरे-धीरे नियंत्रण करने की रणनीति बना रहा है।
शिवसेना (UBT) का तंज
शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने भी अजित पवार गुट पर निशाना साधते हुए कहा—
“वे शरद पवार को अपना नेता मानते हैं और एकता की बात करते हैं, लेकिन विलय का विरोध कर ‘मोदी की मुख्य दुकान’ और अपनी ‘छोटी दुकान’ दोनों चलाना चाहते हैं।”
अब सबकी नजर अजित पवार के अगले कदम पर
आंतरिक मतभेदों के कारण फिलहाल विलय की प्रगति बाधित होती दिख रही है। अब सभी की नजर अजित पवार के अगले कदम और इस घटनाक्रम के महाराष्ट्र की राजनीति पर असर पर टिकी हुई है।