पटना,बिहार की धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी ‘गया’ को अब आधिकारिक रूप से ‘गया जी’ के नाम से जाना जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में 16 मई को हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गई है। यह निर्णय गया की धार्मिक पहचान को और अधिक सशक्त करता है तथा करोड़ों श्रद्धालुओं की वर्षों पुरानी भावना को औपचारिक रूप देता है।
हिंदू धर्म में ‘गया’ का विशेष स्थान है। इसे मोक्ष प्राप्ति का केंद्र माना गया है और यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु पिंडदान और श्राद्ध कर्म के लिए देश-विदेश से आते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में गयासुर नामक राक्षस की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे आशीर्वाद दिया था, जिसके फलस्वरूप यह स्थान मोक्षदायिनी नगरी बना।
‘गया जी’ नाम को लेकर वर्षों से चल रही थी मांग
स्थानीय संतों, गयावाल पंडों और जनप्रतिनिधियों ने सरकार के इस निर्णय को ऐतिहासिक करार दिया है। जदयू नेता लालजी प्रसाद ने कहा, “यह फैसला गया जी की गरिमा को बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे पावन तीर्थों की श्रेणी में स्थापित करता है।”
पंडित महेश, जिन्होंने एक दशक पहले ‘गया’ को ‘गया जी’ करने की मांग उठाई थी, ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, “यह केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि तीर्थ की सांस्कृतिक पहचान को सम्मान देने वाला कदम है।”
बता दें कि गया नगर निगम पहले ही ‘गया जी’ नाम को मान्यता दे चुका था। अब राज्य सरकार की स्वीकृति से इसे औपचारिक दर्जा मिल गया है।
कैबिनेट में 69 प्रस्तावों को मिली मंजूरी
नीतीश कैबिनेट की इस बैठक में कुल 69 एजेंडों को स्वीकृति मिली। इसमें सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) में वृद्धि के साथ-साथ शहीद जवानों के परिवारों को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का निर्णय भी शामिल है।
यह फैसला राज्य सरकार की उन योजनाओं का हिस्सा है, जिनका उद्देश्य बिहार की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करना और नई पीढ़ी तक उसकी गरिमा को पहुंचाना है।
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