नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर दुनिया को डिजिटल पेमेंट में अपनी ताकत दिखा दी है। IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने डिजिटल लेनदेन में ग्लोबल लीडर की जगह बना ली है और इसकी सबसे बड़ी वजह है यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI)।
UPI: भारत की डिजिटल क्रांति का इंजन
2016 में NPCI द्वारा शुरू किया गया UPI आज देश में पेमेंट करने का सबसे तेज, सुरक्षित और सुविधाजनक माध्यम बन गया है। एक ही ऐप से कई बैंक अकाउंट जोड़ना, और कुछ सेकंड में ट्रांजैक्शन यही इसकी ताकत है।

1800 करोड़ से ज्यादा लेन-देन हर महीने
NPCI के आंकड़ों के अनुसार, जून 2025 में UPI के जरिए 1,839 करोड़ ट्रांजैक्शन किए गए, जिनका कुल मूल्य 24.03 लाख करोड़ रुपये रहा। यह पिछले साल जून 2024 की तुलना में 32% अधिक है।

UPI ने भारत को डिजिटल इकोनॉमी की ओर बढ़ाया
UPI ने देश को कैश और कार्ड से आगे बढ़ाकर एक डिजिटल-डॉमिनेटेड अर्थव्यवस्था की ओर मोड़ा है। आज भारत में 85% डिजिटल पेमेंट UPI के माध्यम से होते हैं। इसके प्लेटफॉर्म पर जुड़े हैं:
- 49.1 करोड़ यूजर
- 6.5 करोड़ व्यापारी
- 675 बैंक
भारत ही नहीं, दुनिया भी अपना रही है UPI
UPI अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। यह सुविधा अब 7 देशों में भी उपलब्ध है:
UAE, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस और फ्रांस।
फ्रांस में इसकी एंट्री यूरोप में भारत के फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी के विस्तार का संकेत है।