नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बुधवार, 3 सितंबर को 56वीं GST परिषद की बैठक हुई, जिसमें इनडायरेक्ट टैक्स से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए। सबसे बड़ा बदलाव GST स्लैब में हुआ है। अब पहले चार स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को खत्म कर केवल दो स्लैब 5% और 18% रखे गए हैं। यह बदलाव करीब आठ साल बाद हुआ है और इससे आम जनता को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
28% और 12% टैक्स वाले उत्पाद अब नए स्लैब में
इस बदलाव के बाद पहले 28% स्लैब वाले अधिकांश उत्पाद अब 18% के अंतर्गत आएंगे, जबकि 12% वाले उत्पाद अब 5% स्लैब में शामिल होंगे। इसके साथ ही कुछ जरूरी उत्पाद और सेवाएं पूरी तरह टैक्स फ्री कर दी गई हैं।
GST 2.0 में टैक्स फ्री हुए ये उत्पाद
उत्पाद/ सेवा | पहले | अब |
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हेल्थ इंश्योरेंस | 18% | टैक्स फ्री |
मैप्स, चार्ट और ग्लोब | 12% | टैक्स फ्री |
पेंसिल, शार्पनर और क्रेयॉन और पेस्टल | 12% | टैक्स फ्री |
एक्सरसाईज बुक और नोटबुक | 12% | टैक्स फ्री |
इरेज़र | 5% | टैक्स फ्री |
खाकरा, प्लेन चपाती और रोटी | 5% | टैक्स फ्री |
पराठा, ब्रेड | 18% | टैक्स फ्री |
इस फैसले के बाद भारतीय घरों में खाने-पीने की बुनियादी चीजें जैसे रोटी, ब्रेड और पराठा अब पूरी तरह से टैक्स मुक्त हो गई हैं।
सरकार का उद्देश्य और पीएम मोदी की वकालत
GST स्लैब में यह बदलाव 22 सितंबर से लागू होगा, यानी नवरात्रि और दिवाली के पहले। सरकार का उद्देश्य आम जनता को त्योहारी सीजन में राहत देना है। दरअसल, देश के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई जेनरेशन की GST सुधार की वकालत की थी। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने मंत्रियों के समूह में बदलाव का प्रस्ताव रखा और अब यह प्रस्ताव लागू हो गया।
जनता को बड़ी राहत
इस बदलाव से न केवल रोजमर्रा के जरूरी उत्पादों पर टैक्स खत्म हुआ है, बल्कि हेल्थ इंश्योरेंस जैसी सेवाओं पर भी कोई टैक्स नहीं लगेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, इस कदम से आम जनता की जेब पर सीधा सकारात्मक असर पड़ेगा और त्योहारी सीजन में घरेलू खर्च कम होगा।