नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग एक बार फिर सुर्खियों में है। 5 अगस्त 2025 को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है, क्योंकि इस तारीख को अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया था। रविवार, 3 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात ने इन अटकलों को और हवा दी है। इसके अलावा मंगलवार, 5 अगस्त को होने वाली एनडीए संसदीय दल की बैठक ने भी सियासी गलियारों में चर्चा को तेज कर दिया है। क्या 6 साल बाद जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने जा रहा है?
राष्ट्रपति से मुलाकात ने बढ़ाई हलचल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अलग-अलग मुलाकात की। इन मुलाकातों का आधिकारिक एजेंडा सामने नहीं आया है, लेकिन सियासी हलकों में इसे जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य दर्जे से जोड़कर देखा जा रहा है। यह चर्चा इसलिए भी प्रबल है, क्योंकि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया था। उस समय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि जम्मू-कश्मीर को उचित समय पर पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। अब, जब यह तारीख फिर से नजदीक आ रही है, तो क्या वह ‘उचित समय’ आ गया है?
फारूक अब्दुल्ला का बयान
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने 4 अगस्त को एक बार फिर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा कब मिलेगा।” इसके साथ ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर की राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव कराने की मांग भी की। फारूक अब्दुल्ला का यह बयान अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण की छठी वर्षगांठ से ठीक एक दिन पहले आया है, जिसने सियासी माहौल को और गर्म कर दिया है।
पूर्ण राज्य दर्जे की लंबी मांग
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य दर्जे की बहाली की मांग उठ रही है। नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और अन्य स्थानीय दल इस मुद्दे को बार-बार उठाते रहे हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी अक्टूबर 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर राज्य दर्जे की बहाली का मुद्दा उठाया था। उनकी कैबिनेट ने पहली बैठक में ही इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया था। केंद्र सरकार ने हमेशा यह दोहराया है कि वह सही समय पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देगी, लेकिन समयसीमा को लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया गया है।
5 अगस्त का प्रतीकात्मक महत्व
5 अगस्त की तारीख का विशेष महत्व है, क्योंकि 2019 में इसी दिन अनुच्छेद 370 को हटाया गया था और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। इसके अलावा, अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास का फैसला भी 5 अगस्त 2020 को लिया गया था। इस तारीख को केंद्र सरकार द्वारा बड़े फैसलों के लिए चुने जाने की परंपरा ने इस बार भी अटकलों को जन्म दिया है। क्या इस बार 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का ऐलान होगा?
एनडीए संसदीय दल की बैठक
5 अगस्त को होने वाली एनडीए संसदीय दल की बैठक ने भी इस मुद्दे को और हवा दी है। हालांकि इस बैठक का आधिकारिक एजेंडा सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। इसके साथ ही, उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने और बिहार में चुनाव आयोग की विशेष गहन संशोधन प्रक्रिया को लेकर संसद में चल रहे गतिरोध पर भी विचार-विमर्श हो सकता है।
जम्मू-कश्मीर में सियासी माहौल
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन को बहुमत मिला था, और उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। उनकी सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही पूर्ण राज्य दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पारित किया था। हालांकि, कुछ विपक्षी दलों जैसे पीडीपी ने इस प्रस्ताव को अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग को कमजोर करने वाला बताया है। दूसरी ओर, केंद्र सरकार और बीजेपी नेताओं ने हमेशा यह कहा है कि वे जम्मू-कश्मीर के विकास और शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं।