उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन के लिए चलाए जा रहे प्रयास अब धरातल पर स्पष्ट नजर आने लगे हैं। राज्य सरकार की “नमामि गंगे मिशन”, “संचारी जलशक्ति अभियान” और मनरेगा के तहत की गई ठोस पहल से न केवल जल स्तर में सुधार हुआ है, बल्कि प्रदेश की सूखी और मृतप्राय नदियों में एक बार फिर से जीवन बहने लगा है।
अब तक प्रदेश में 3363 किलोमीटर क्षेत्र में 50 नदियों का कायाकल्प किया जा चुका है। इनमें सिरसा जैसी छोटी नदियों का उदाहरण प्रमुख है, जो फिरोजाबाद के सिरसागंज, शिकोहाबाद और टूंडला क्षेत्र से होकर बहती हैं। गंदगी, अतिक्रमण और सूखते जलस्रोतों के कारण यह नदी मृतप्राय हो चुकी थी। लेकिन सरकार के प्रयासों से डी-सिल्टिंग, क्लीनिंग, अतिक्रमण हटाने और ट्रीटेड पानी छोड़ने जैसे उपायों से अब इसमें फिर से स्वच्छ जलधारा बहने लगी है।
गांवों को मिला सिंचाई और रोजगार का साधन
नदियों के पुनरुद्धार का प्रभाव सिर्फ पर्यावरण तक सीमित नहीं है। अब इन जलधाराओं से गांवों में सिंचाई सुविधाएं बेहतर हुई हैं, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है। खेती की लागत घटी है, वहीं मत्स्य पालन, पर्यटन, औषधीय पौधों की खेती जैसे नए विकल्पों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।
गंगा ग्रामों में विशेष पहल
योगी सरकार ने 1011 गंगा ग्राम पंचायतों में छोटी नदियों और जलधाराओं का पुनर्जीवन कराया है। इन जल स्रोतों को साफ कर उनकी प्राकृतिक धारा को पुनः जीवित किया गया, जिससे जल स्तर में सुधार हुआ है। मनरेगा के तहत 86 विशेष कार्य चिह्नित कर जल संरक्षण और नदियों के पुनर्जागरण को गति दी जा रही है।
नदी पुनर्जीवन से सामाजिक-सांस्कृतिक जागृति
जहां कभी नदियों को नाला और कचरे का ढेर माना जाता था, आज वही नदियां सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की प्रतीक बन रही हैं। स्थानीय लोग अब इन जल स्रोतों की सफाई और संरक्षण में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं।
योगी सरकार का यह प्रयास सिर्फ पर्यावरणीय नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक पुनर्जागरण की मिसाल बन गया है। यूपी आज न केवल जल संरक्षण में एक मॉडल राज्य बन रहा है, बल्कि यह दिखा रहा है कि सरकार की इच्छाशक्ति और जनसहभागिता से मरी हुई नदी में भी फिर से जीवन बह सकता है।