प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल अंबानी के रिलायंस समूह पर शिकंजा कसते हुए रिलायंस पावर लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) अशोक पाल को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया है। अधिकारियों के अनुसार, उन पर 68 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी बैंक गारंटी जमा करने और सार्वजनिक कंपनी से धन की हेराफेरी में अहम भूमिका निभाने का आरोप है। यह गिरफ्तारी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की गई है।
ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि अशोक पाल ने सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) की निविदा प्रक्रिया में रिलायंस पावर की वित्तीय क्षमता का उपयोग करते हुए जाली बैंक गारंटी प्रस्तुत की थी। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि यह बैंक गारंटी फर्स्टरैंड बैंक, मनीला, फिलीपींस से बताई गई थी, जबकि वास्तव में फिलीपींस में उस बैंक की कोई शाखा मौजूद नहीं है।
ईडी का कहना है कि अशोक पाल ने इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड (बीटीपीएल) नामक कंपनी को चुना था, जो एक आवासीय पते से संचालित होती थी और जिसका कोई विश्वसनीय बैंकिंग रिकॉर्ड नहीं था। बीटीपीएल के निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं।
अधिकारियों ने बताया कि अशोक पाल ने करोड़ों रुपये के फर्जी परिवहन चालान तैयार करवाए और सामान्य एसएपी/विक्रेता वर्कफ्लो से बाहर टेलीग्राम और व्हाट्सएप के माध्यम से भुगतान को मंजूरी दी।
रिलायंस पावर लिमिटेड (आरपीएल) एक सार्वजनिक सूचीबद्ध कंपनी है, जिसके 75 प्रतिशत से अधिक शेयर आम निवेशकों के पास हैं। ईडी के अनुसार, अशोक पाल ने कंपनी बोर्ड के प्रस्ताव का दुरुपयोग करते हुए न केवल धोखाधड़ी की योजना तैयार की, बल्कि उसे लागू और छिपाने में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
ईडी अनिल अंबानी समूह की अन्य कंपनियों से जुड़े कई बैंक धोखाधड़ी मामलों की भी जांच कर रही है। एजेंसी का कहना है कि इस मामले में आगे और गिरफ्तारियां संभव हैं।